सन्दर्भ-भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) की मौद्रिक नीति समिति (MPC–Monetary Policy Committee) ने 8 अप्रैल 2022 को प्रमुख नीतिगत दरों को अपरिवर्तित छोड़ दिया,केंद्रीय बैंक ने अपने उदार नीतिगत रुख को बरकरार रखा लेकिन संकेत दिया कि मुद्रास्फीति के ऊंचे स्तर के मद्देनजर यह कम अनुकूल होगा।
प्रमुख तथ्य-समिति ने रेपो दर (Repo Rate) – को 4% और रिवर्स रेपो दर(Reverse Rapo Rate) को 3.35% पर ही रखा।
:हालाँकि, RBI ने 3.75% की ब्याज दर पर – तरलता को आकर्षक करने के लिए एक अतिरिक्त उपकरण – स्थायी जमा सुविधा (SDF) की शुरुआत की।
:नीति पैनल ने सकल घरेलू उत्पाद की वृद्धि को घटाकर 7.2% कर दिया और वित्त वर्ष 2022-23 के लिए मुद्रास्फीति के पूर्वानुमान को 5.7 % तक बढ़ा दिया।
:रेपो दरों को 4% पर अपरिवर्तित रखने के RBI के फैसले से बैंकों को वित्तीय प्रणाली में ब्याज दरों को अपरिवर्तित रखने में मदद मिलेगी,जिससे अर्थव्यवस्था में वृद्धि होगी और उधारकर्ताओं को कम से कम कुछ समय के लिए EMI और ऋण चुकौती पर अधिक भुगतान नहीं करना पड़ेगा।
:विकास को समर्थन देते हुए मुद्रास्फीति आगे बढ़ने के लक्ष्य के भीतर बनी रहे ऐसा भी निर्णय किया गया।
:केंद्रीय बैंक ने कच्चे तेल और कमोडिटी की कीमतों में वृद्धि और यूक्रेन पर रूसी आक्रमण के प्रभाव के मद्देनजर वित्त वर्ष 2022-23 के लिए विकास अनुमान को घटाकर 7.2% कर दिया है, जो पहले अनुमानित 7.8% था।
:इसने खुदरा मुद्रास्फीति को पहले के 4.5% से बढ़ाकर 2022-23 में 5.7% कर दिया है।
:बढ़ते भू-राजनीतिक तनावों ने आर्थिक दृष्टिकोण पर प्रभाव डाला है,और युद्ध संभावित रूप से बढ़ी हुई वस्तुओं की कीमतों और वैश्विक स्पिलओवर(दूसरे क्षेत्रों में फैलाना) चैनलों के माध्यम से आर्थिक सुधार को बाधित कर सकता है।