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सन्दर्भ-पर्यावरणविद और कार्यकर्ता हैदराबाद में ऐतिहासिक उस्मान सागर और हिमायत सागर जलाशयों की रक्षा करने वाले 25 साल पुराने सरकारी आदेश को वापस लेने के लिए तेलंगाना सरकार की आलोचना कर रहे हैं।जिसके बारे में उनका कहना है कि यह आसपास के नाजुक पारिस्थितिकी तंत्र को नष्ट कर देगा।
प्रतिबंधों का कारण-
:जलग्रहण क्षेत्र की रक्षा करना और जलाशयों को प्रदूषण मुक्त रखना था।
प्रमुख तथ्य-:8 मार्च 1996 को, तत्कालीन (अविभाजित) आंध्र प्रदेश की सरकार ने उस्मान सागर और हिमायत सागर झीलों के जलग्रहण क्षेत्र में 10 किमी के दायरे में विकास या निर्माण कार्यों पर रोक लगाने के लिए ‘सरकारी आदेश (GO) 111’ जारी किया था।
:शासन ने प्रदूषण फैलाने वाले उद्योगों, आवासीय कॉलोनियों, होटलों आदि की स्थापना पर रोक लगा दी।
:कुल जलग्रहण क्षेत्र 84 गांवों में लगभग 1.30 लाख एकड़ में फैला है।
:झीलें लगभग 70 वर्षों से हैदराबाद को पानी की आपूर्ति कर रही थीं, और उस समय शहर के लिए पीने के पानी का मुख्य स्रोत थीं।
:हैदराबाद को बाढ़ से बचाने के लिए कृष्णा की एक प्रमुख सहायक नदी मुसी (जिसे मूसा या मुचकुंडा के नाम से भी जाना जाता है) पर बांध बनाकर जलाशयों का निर्माण किया गया था।
:1908 में छठे निजाम महबूब अली खान (1869-1911) के शासनकाल के दौरान एक बड़ी बाढ़ के बाद बांधों के निर्माण का प्रस्ताव आया, जिसमें 15,000 से अधिक लोग मारे गए थे।
:झीलें अंतिम निज़ाम, उस्मान अली खान (1911-48) के शासनकाल के दौरान अस्तित्व में आईं।
:उस्मान सागर 1921 में और हिमायत सागर 1927 में बनकर तैयार हुआ था।
:उस्मान सागर में निज़ाम का गेस्टहाउस अब एक विरासत भवन है।