सन्दर्भ:
: उत्तराखंड में आयोजित 38वें राष्ट्रीय खेलों में केरल की प्राचीन मार्शल आर्ट कलारीपयट्टू (Kalaripayattu) को प्रदर्शन वर्ग में शामिल किए जाने पर विवाद छिड़ गया है।
कलारीपयट्टू के बारे में:
: कलारीपयट्टू दुनिया की सबसे पुरानी मार्शल आर्ट में से एक है, जिसमें युद्ध तकनीक, शारीरिक प्रशिक्षण और उपचार पद्धतियों का संयोजन किया जाता है।
: केरल में उत्पन्न, यह दक्षिण भारत में गहरी सांस्कृतिक और ऐतिहासिक जड़ें रखता है।
: इतिहास और विशेषताएँ- इतिहास: पौराणिक कथाओं में योद्धा ऋषि परशुराम को इसके निर्माण का श्रेय दिया जाता है।
: मलयालम में “कलारी” का अर्थ है “युद्ध का मैदान”, और “पयट्टू” का अर्थ है “लड़ाई”।
: मुख्य विशेषताएँ- मार्शल आर्ट में शरीर की कंडीशनिंग (मैप्पयट्टू), लकड़ी के हथियार (कोलथारी), धातु के हथियार (अंगाथारी) और नंगे हाथों की तकनीक (वेरुमकई) पर जोर दिया जाता है। यह ताकत, लचीलापन, सजगता और अनुशासन को बढ़ाता है।
: इसे 2009 में भारत की अमूर्त सांस्कृतिक विरासत (ICH) की राष्ट्रीय सूची में जोड़ा गया था।
: ऐतिहासिक रूप से, महिलाओं ने कलारीपयट्टू में प्रशिक्षण लिया है, और वे आज भी इसके अभ्यास में उत्कृष्टता हासिल कर रही हैं।