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EAC-PM-ASMANATA REPORT
भारत में असमानता की स्थिति पर रिपोर्ट जारी हुई

सन्दर्भ-18 मई 2022 को प्रधानमंत्री की आर्थिक सलाहकार परिषद (EAC-PM) के अध्यक्ष डॉक्टर बिबेक देबरॉय ने “भारत में असमानता की स्थिति (The State of Inequality in India Report) पर रिपोर्ट जारी की।

क्यों जारी होती है रिपोर्ट:

:संस्थान द्वारा यह रिपोर्ट प्रतिस्पर्धा बनाने और भारत में असमानता की प्रवृत्ति व गहराई के समग्र विश्लेषण को प्रदर्शित करने के लिए।
आंकड़ों का आधार:
:यह रिपोर्ट आवधिक श्रम बल सर्वेक्षण (PLFS),राष्ट्रीय परिवार,स्वास्थ्य सर्वे (NFHS) और UDISE+ से हासिल किए गए आंकड़ों पर आधारित है।
प्रमुख तथ्य-:यह रिपोर्ट स्वास्थ्य,शिक्षा,पारिवारिक विशेषताओं और श्रम बाज़ार के क्षेत्रों की असमानताओं पर जानकारी इकट्ठा करती है।
:रिपोर्ट के अनुसार, इन क्षेत्रों की असमानताएं आबादी अधिक संवेदनशील बनाती हैं और बहुआयामी गरीबी की ओर फिसलन को मजबूर करती हैं।
:“असमानता एक भावात्मक मुद्दा है,यह एक अनुभवजन्य मुद्दा भी है,क्योंकि इसकी परिभाषा और माप, उपयोग किए गए पैमानों और आंकड़ों पर निर्भर करती है।”
:गरीबी को कम करने और रोजगार को बढ़ाने के लिए 2014 के बाद से केंद्र सरकार ने मापन के अलग-अलग पैमाने जारी किए हैं,जो समावेश को बुनियादी जरूरत का प्रावधान मानते हैं।
:यह रिपोर्ट समावेश और बहिष्कार दोनों का मापन करती है और नीतिगत बहस में योगदान देती है।
:रिपोर्ट के दो हिस्से हैं- आर्थिक पहलू और सामाजिक-आर्थिक पहलू।
:रिपोर्ट पांच अहम क्षेत्रों पर ध्यान देती है,जो असमानता की प्रवृत्ति और अनुभव को प्रभावित करते हैं: इनमें, आय का वितरण व श्रम बाजार गतिशीलता, स्वास्थ्य, शिक्षा और पारिवारिक विशेषताएं शामिल हैं।
:रिपोर्ट में असमानता की मौजूदा स्थिति, चिंता के क्षेत्र, अवसंरचनात्मक क्षमताओं में सफलता व असफलताओं के साथ-साथ असमानता पर प्रभाव डालने वाले अलग-अलग विषयों पर कई अध्याय शामिल हैं।
:रिपोर्ट देश में मौजूद अलग-अलग वंचनाओं पर समग्र विश्लेषण को पेश कर असमता की अवधारणा को विस्तार देती है।
:यही वह वंचनाएं हैं, जो आबादी के समग्र विकास और कल्याण को प्रभावित करती हैं।
:यह अध्ययन भिन्न वर्गों,लिंग और क्षेत्रों को समाहित करता है और बताता है कि कैसे असमानता हमारे समाज को प्रभावित करती है।
:यह रिपोर्ट 2017-18, 2018-19 और 2019-20 में संपदा-संपत्ति अनुमानों के परे जाती है,क्योंकि संपदा अनुमान सिर्फ आंशिक तस्वीर ही पेश करते हैं।
:पहली बार रिपोर्ट में पूंजी के प्रवाह को समझने के लिए आय के वितरण पर ध्यान केंद्रित किया गया है।
:संपदा का संकेंद्रण, असमानता के कारक के तौर परिवारों की खरीद क्षमता में हुए बदलाव की सही तस्वीर पेश नहीं करता।
:पीएलएफएस 2019-20 से खोजे गए आंकड़ों से पता चलता है कि जितनी संख्या में कमाने वाले लोग होते हैं,उनमें से शुरुआती 10% का मासिक वेतन 25,000 है।
:2019-20 में भिन्न रोजगार वर्गों में सबसे ज्यादा हिस्सेदारी स्वरोजगार कर्मियों (45.78%), नियमित वेतनकर्मी (33.5%) और अनौपचारिक कर्मचारी (20.71%) की थी।
:सबसे कम आय वाले वर्ग में भी स्वरोजगार वाले कर्मचारियों की संख्या सबसे ज्यादा है।
:देश की बेरोजगारी दर 4.8% (2019-20) है और कामगार-आबादी का अनुपात 46.8% है।
:भारत में 2005 में 1,72,608 स्वास्थ्य केंद्र थे,अब 2020 में इनकी संख्या 1,85,505 है।
:राजस्थान,गुजरात,महाराष्ट्र,मध्य प्रदेश,तमिलनाडु और चंडीगढ़ जैसे राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों ने बहुत बढ़ोत्तरी की है।
:एनएफएचएस-4 (2015-16) और एनएफएचएस-5 (2019-21) के नतीजों के अनुसार 2015-16 के शुरुआती तीन महीनों में गर्भवती महिलाओं में से 58.6 % महिलाओं का स्वास्थ्य परीक्षण किया गया था,जो 2019-21 में बढ़कर 70% हो गया।
:रिपोर्ट के अनुसार, शिक्षा और पारिवारिक स्थितियां, कुछ सामाजिक सुरक्षा योजनाओं की लक्षित कोशिशों की वजह से काफी अच्छी हुई हैं।
:खासतौर पर जल उपलब्धता और स्वच्छता के क्षेत्र में ऐसी वृद्धि देखी गई।
:80.16% स्कूलों में सुचारू विद्युत कनेक्शन था, जबकि गोवा, तमिलनाडु, चंडीगढ़, दिल्ली और दादरा व नगर हवेली के साथ-साथ दमन व दीव, लक्ष्यद्वीप, पुडुचेरी में 100% स्कूलों में विद्युत कनेक्शन मौजूद थे।
:2018-19 और 2019-20 के बीच सकल नामांकन अनुपात भी प्राथमिक,उच्च प्राथमिक, माध्यमिक और उच्चतर माध्यमिक में बढ़ा है।
:एनएफएचएस-5 (2019-20) के मुताबिक, 97% परिवारों के पास विद्युत पहुंच उपलब्ध है, जबकि 70% के पास बेहतर सफाई सेवाओं तक पहुंच है और 96% को सुरक्षित पीने योग्य पानी उपलब्ध है।
:स्वच्छता और सुरक्षित पीने योग्य जल तक पहुंच से ज्यादातर परिवार सम्मानजनक जीवन की ओर अग्रसर हुए हैं।


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By gkvidya

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