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NISAR UPGRAH MISSION-NASA-ISRO
नासा-इसरो का निसार (NISAR) मिशन
Photo:Wiki

सन्दर्भ-भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) एवं संयुक्त राज्य अमेरिका के NASA (National Aeronautics and Space Administration) ने पृथ्वी के वैज्ञानिक अध्ययन हेतु संयुक्त रूप से नासा-इसरो सिंथेटिक एपर्चर रडार उपग्रह (NASA-ISRO Synthetic Aperture Radar Satellite) अर्थात निसार (NISAR) नामक उपग्रह मिशन पर कार्य कर रहे है।
प्रमुख तथ्य- NISAR -निसार मिशन को 2023 तक लांच किया जा सकता है।
:निसार उपग्रह प्राकृतिक संसाधनों को बेहतर ढंग से प्रबंधित कर कर सकता है,साथ ही वैश्विक पर्यावरण बदलाओं और खतरों के अध्ययन करने में मदद करेगा।
:यह जलवायु परिवर्तन के प्रभावों और इसकी गति को बेहतर ढंग से समझने में वैज्ञानिकों को जानकारी दे सकता है।
:निसार उपग्रह अपने तीन-वर्षीय मिशन के दौरान प्रत्येक 12 दिनों में पूरे ग्लोब की बारीकी से जांच करेगा।
:परीक्षण के दौरान यह उपग्रह पृथ्वी से भूमि,बर्फ की चादरों और समुद्री बर्फों का फोटो खींच कर पूरी जानकारी देगा।
:भूजल आपूर्ति की निगरानी में मदद करेगा।
:यह उपग्रह टेनिस कोर्ट के आधे आकार के किसी भी क्षेत्र में ग्रह की सतह से 4 इंच की ऊंचाई पर किसी भी गतिविधि का पता लगा सकता है।
:ज्वालामुखी विस्फोट के बारें में चेतावनी भी देगा।
:इसरो द्वारा स्पेसक्रॉफ्ट बस (अंतरिक्षयान बस), दूसरे प्रकार के रडार (जिसे S- बैंड रडार कहा जाता है), लॉन्च वाहन और संबद्ध लॉन्च सेवाएंँ उपलब्ध कराई जाएंगी।
:निसार उग्रह ,नासा द्वारा लॉन्च किये गए अब तक के सबसे बड़े रिफ्लेक्टर एंटीना (Reflector Antenna) से लैस होगा।

सिंथेटिक एपर्चर रडार (SAR-Synthetic Aperture Radar) :

:नासा द्वारा इसका उपयोग पृथ्वी की सतह में होने वाले परिवर्तन को मापने हेतु किया जाएगा।
:यह उच्च-रिज़ॉल्यूशन छवियों को प्राप्त करने वाली एक तकनीक को प्रदर्शित करता है।
:यह किसी भी तरह मौसम में डाटा और चित्र का संग्रहण करने में सक्षम है।


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By gkvidya

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