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सन्दर्भ–हैदराबाद स्थित अंतरिक्ष स्टार्टअप स्काईरूट(Skyroot) एयरोस्पेस ने एक ठोस ईंधन-आधारित इंजन का सफलतापूर्वक परीक्षण किया, जिसका उपयोग विक्रम (Vikram) 1 नामक प्रक्षेपण यान के तीसरे चरण में किया जाएगा।
प्रमुख तथ्य-कंपनी विक्रम 1, विक्रम 2 नामक तीन छोटे उपग्रह प्रक्षेपण वाहनों की एक श्रृंखला विकसित कर रही है।
:विक्रम 3.विक्रम 1 रॉकेट चार ईंधन-आधारित चरणों का उपयोग करेगा जिसमें लॉन्च के लिए 3 ठोस ईंधन और एक 1 तरल ईंधन चरण शामिल हैं।
:2021 में, स्काईरूट ने देश के पहले निजी रूप से विकसित क्रायोजेनिक इंजन, धवन -1 का सफलतापूर्वक प्रदर्शन किया, जो कि विक्रम -2 रॉकेट में ऊपरी चरण होगा,सुपरलॉय का उपयोग करके पूरी तरह से 3 डी प्रिंट किया गया था।
:इस प्रक्रिया में निर्माण समय को 95प्रतिशत तक कम कर दिया गया था।
विक्रम-1 प्रक्षेपण यान, कलाम-100 इंजन और परीक्षण के बारे में:
:एक छोटा लिफ्ट लॉन्च वाहन 225 किलोग्राम पेलोड को सूर्य-तुल्यकालिक ध्रुवीय कक्षा में रखने में सक्षम होगा, जिसकी पेलोड क्षमता इसरो के ध्रुवीय उपग्रह लॉन्च वाहन (PSLV) की तुलना में बहुत कम है, जो 1,750 किलोग्राम तक ले जा सकती है।
:लॉन्च वाहन में चार चरण होते हैं,जिसमें तीसरे चरण में एक ठोस ईंधन आधारित इंजन होता है जिसे कलाम (KALAM)-100 इंजन कहा जाता है, जिसका नाम वैज्ञानिक और भारत के पूर्व राष्ट्रपति डॉ एपीजे अब्दुल कलाम के नाम पर रखा गया है।
:टेस्ट फायरिंग 108 सेकंड तक चली और इंजन 100किलोन्यूटन (KN) या 10 टन का पीक वैक्यूम थ्रस्ट पैदा करता है।
:कलाम -100 इंजन भारतीय निजी क्षेत्र में पूरी तरह से डिजाइन, निर्मित और परीक्षण किया गया अब तक का सबसे बड़ा रॉकेट चरण है।
:इंजन संरचनाओं के मुख्य घटक में उच्च शक्ति वाली कार्बन-फाइबर संरचना, ठोस ईंधन, एथिलीन-प्रोपलीन-डायन टेरपोलिमर (EPDM) थर्मल प्रोटेक्शन सिस्टम और कार्बन एब्लेटिव नोजल शामिल हैं।
:परीक्षण नागपुर,महाराष्ट्र में कंपनी के एक निवेशक सोलर इंडस्ट्रीज इंडिया की सुविधा में आयोजित किया गया था।