सन्दर्भ:
:आरईसी को एक ‘महारत्न’ केन्द्रीय सार्वजनिक क्षेत्र के उद्यम का दर्जा दिया गया है।
आरईसी के महारत्न बनाने से जुड़े प्रमुख तथ्य:
:अब आरईसी को संचालन और वित्तीय मामलों में अपेक्षाकृत अधिक स्वायत्तता प्रदान की गई है।
:इसको ‘महारत्न’ का दर्जा दिए जाने से कंपनी के बोर्ड को वित्तीय निर्णय लेने के दौरान बढ़ी हुई शक्तियां हासिल होंगी।
:एक ‘महारत्न’ उद्यम (CPSE) का बोर्ड वित्तीय संयुक्त उद्यम और पूर्ण स्वामित्व वाली सहायक कंपनियों को आरम्भ करने हेतु इक्विटी निवेश कर सकता है और भारत एवं विदेशों में विलय तथा अधिग्रहण भी कर सकता है।
: ऐसे विलय तथा अधिग्रहण की सीमा संबंधित CPSE की शुद्ध संपत्ति (नेट वर्थ) के 15% हिस्से और एक परियोजना में 5,000 करोड़ रुपये तक सीमित होती है।
:इसका बोर्ड कार्मिक एवं मानव संसाधन प्रबंधन और प्रशिक्षण से जुडी योजनाओं की संरचना और कार्यान्वयन भी कर सकता है।
:‘महारत्न’ के इस दर्जे के साथ, इसकी अन्य बातों के अतिरिक्त प्रौद्योगिकी आधारित संयुक्त उद्यम या अन्य रणनीतिक गठबंधन में भी भाग ले सकता है।
आरईसी के बारें में:
: इसकी स्थापना वर्ष 1969 में किया गया था।
:यह एक गैर – बैंकिंग वित्तीय कंपनी (NBFC) है, जो पुरे देश में बिजली क्षेत्र के वित्तपोषण और विकास पर ध्यान केंद्रित करती है।
: इसने वित्तीय वर्ष 2022 में,अपनी किफायती संसाधन प्रबंधन और मजबूत वित्तीय नीतियों के कारण, 10,046 करोड़ रुपये का अपना अब तक का सबसे अधिक शुद्ध लाभ कमाया।
:इसके अतिरिक्त 50,986 करोड़ रुपये की शुद्ध संपत्ति (नेट वर्थ) भी प्राप्त की।
:आरईसी ने भारत सरकार की प्रमुख योजनाओं DDUGJY और सौभाग्य की सफलता में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है और देश में ग्रामीण एवं घरेलू विद्युतीकरण के लक्ष्य को हासिल करने में योगदान दिया है।
:वर्तमान में आरईसी वित्तीय और संचालन से जुड़ी समस्याओं को दूर करते हुए वितरण क्षेत्र में सुधार के लिए संशोधित वितरण क्षेत्र योजना (RDSS) के लिए नोडल एजेंसी की अपनी भूमिका को निभा रहा है।