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सन्दर्भ:
: भारत की माननीया राष्ट्रपति ने बेंगलुरू में दक्षिणी क्षेत्र के आईसीएमआर- नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी का शिलान्यास किया।
नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी से जुड़े प्रमुख तथ्य:
: आईसीएमआर का अनुसंधान बुनियादी ढांचे का यह एक विस्तार है।
: नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी (NIV) भी विषाणु विज्ञान के क्षेत्र में अनुसंधान और विकास को बढ़ाने के लिए हर संभव कदम उठा रहा है।
: नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी को विश्व स्वास्थ्य संगठन की सहयोगी प्रयोगशालाओं में से एक के रूप में नामित किया गया है।
: राष्ट्रपति के हाथों बेंगलुरू में एनआईवी-दक्षिण क्षेत्र का शिलान्यास करने को एक महान सम्मान बताया गया।
: हमारी स्वास्थ्य रक्षा प्रणाली को मजबूत करने की दिशा में यह नया एनआईवी एक कदम आगे है।
: PM-ABHIM अर्थात प्रधानमंत्री आयुष्मान भारत स्वास्थ्य अवसंरचना मिशन के तहत पूरे देश में जैव-सुरक्षा तैयारियों और महामारी अनुसंधान को मजबूत करने के लिए 4 क्षेत्रीय एनआईवी सहित बहुक्षेत्रीय राष्ट्रीय संस्थानों और प्लेटफार्मों को स्थापित करने के लिए धनराशि की मंजूरी दी गई है।
: देखा जाए तो ICMR- NIV ने अपनी स्थापना से ही सार्वजनिक स्वास्थ्य महत्व के वायरल संक्रमणों के लिए तीव्र प्रतिक्रिया देने के मामले में आगे बढ़कर नेतृत्व किया है।
: भारत का पहला स्वदेशी टीका- कोवैक्सिन के निर्माण में एनआईवी ने संभावित एंटीवायरल दवाओं की जांच की, कई किट सत्यापन किए, बड़े पैमाने पर प्रशिक्षण के साथ नए निदान विकसित कर योगदान दिया।