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अफतानी वस्त्र-GI टैग की मांग

सन्दर्भ-हाल ही में अरुणाचल प्रदेश के अफतानी वस्त्र उत्पाद के लिए भौगोलिक संकेतक (GI टैग) की मांग को लेकर आवेदन किया गया है।
प्रमुख तथ्य-:यह आवेदन जीत ज़ीरो प्रोड्यूसर कंपनी लिमिटेड द्वारा किया गया है।
:इस वस्त्र उत्पाद को अरुणाचल प्रदेश की अफतानी जनजाति द्वारा तैयार किया जाता है।
:इनके द्वारा बना गया यह कपड़ा अपने ज्यामितीय और टेढ़े मेढ़े पैटर्न तथा कोणीय डिज़ाइन के लिए जाना जाता है।
:इस जनजाति द्वारा बने गए शॉल को जिग-जीरो और जैकेट और जैकेट (जिलान) को सुपुंतारी कहा जाता है।
:इन वस्त्रों पर की गई जैविक डाई के लिए पत्तियों और पौधों के उत्पादों का प्रयोग किया जाता है।
:केवल महिलाएं ही इस पारम्परिक कार्य को करती है।
:ये एक पारम्परिक हथकरघा चिचिन का प्रयोग करते है।
क्या है GI टैग-:भौगोलिक संकेतक उन उत्पादों को दिया जाता है जो किसी भौगोलिक क्षेत्र में उत्पन्न होते है।
:इसे वस्तुओं के भौगोलिक संकेतक(पंजीकरण और संरक्षण) अधिनियम,1999 के तहत 10 वर्षों के लिए दिया जाता है।
:इसका उपयोग प्राकृतिक,कृषि और निर्मित वस्तुओं के लिए किया जाता है।
:अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर GI टैग औद्योगिक सम्पति के संरक्षण हेतु पेरिस कन्वेंशन के तहत बौद्धिक सम्पदा अधिकारों(IPR) के एक भाग के रूप में शामिल किया गया है।
अफतानी जनजाति-:ये अरुणाचल प्रदेश के लोअर सुबनसिरी जिले के जीरों घाटी में रहने वाले लोगो की एक आदिवासी समूह है।
:इनकी भाषा तानी है तथा ये सूर्य एवं चाँद की पूजा करते है।


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By gkvidya

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