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कत्थक सम्राट बिरजू महाराज का निधन

सन्दर्भ-महान कत्थक नृत्य सम्राट और पद्म विभूषण बिरजू महाराज का निधन हो गया,वे 83 वर्ष के थे।
प्रमुख तथ्य-उन्होंने ने भारतीय नृत्यकला को विश्व में पहचान दिलाई।
:बिरजू महाराज का जन्म 4 फरवरी 1938 को कथक पुनरुद्धारवादी इंश्वरी प्रसाद के परिवार में जन्म हुआ था।
:इनके पिता का नाम अच्छन महाराज था,बाल्यावस्था में पिता का साथ छूटने के बाद इनकी शानदार देखरेख इनके चाचा द्वय पं.लच्छू महाराज और पं.शम्भू महाराज ने की।
:आरम्भ में इनका नाम “दुःख हरण” था पुनः बदल कर “बृजमोहन नाथ मिश्रा” किया गया जिसको संछिप्त करके “बिरजू” किया गया।
:उन्होंने कम उम्र में प्रदर्शन करना शुरू कर दिया था,और सात साल की उम्र में, उन्होंने अपने पिता के साथ भारत के कई हिस्सों की यात्रा की थी।
:कम उम्र में ही एकल शो शुरू हो गए थे।
:वें लखनऊ कलिका -बिंदादीन घराने के अग्रणी नर्तक थे।
:उन्होंने कथक में नृत्य-नाटिका को जोड़कर एक नई ऊंचाई दी।
:अपने करियर के शुरुआती दौर में,पं. बिरजू महाराज को भारत सरकार द्वारा विभिन्न त्योहारों पर भारत का प्रतिनिधित्व करने के लिए भेजा जाता था।
:यह उनकी प्रतिभा का कोई छोटा पैमाना नहीं है कि पं बिरजू महाराज को 28 साल की छोटी उम्र में संगीत नाटक अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया था।
:13 वर्ष की आयु में ही नई दिल्ली के संगीत भारती में नृत्य की शिक्षा देना शुरू कर दिए थे।
:भारतीय सिनेमा ने जब भी इसकी कहानी को आगे बढ़ाने के लिए प्रामाणिक कथक नृत्य की आवश्यकता हुई,इस प्रतिभा (बिरजू महाराज)की ओर रुख किया।
:और यह बिरजू महाराज द्वारा सत्यजीत रे की ‘शतरंज के खिलाड़ी’ में दोनों उत्कृष्ट दृश्यों के कोरियोग्राफ के रूप में देखा गया – जहा एक में अमजद खान नवाब वाजिद अली शाह के रूप में उनकी रानियों से घिरे हुए थे, तो दूसरे में सरस्वती सेन द्वारा एकल प्रदर्शन की विशेषता थी।
:उन्होंने दो बार माधुरी दीक्षित को कोरियोग्राफ किया,एक बार ‘दिल तो पागल है’ और फिर ‘देवदास’ (काहे छेड़) में।
:उन्होंने गदर में एक गीत अनुक्रम को मार्गदर्शन किया।
:उन्हें कई पुरस्कारों से सम्मानित भी किया गया था जिनमे प्रमुख है-कालिदास सम्मान, भरत मुनि सम्मान,नृत्य चूड़ामणि, आंध्र रत्न, नृत्य विलास, आधारशिला शिखर सम्मान, सोवियत भूमि नेहरू को विभिन्न रूप से प्राप्त किया है, शिरोमणि सम्मान, यश भारती सम्मान और राजीव गांधी शांति पुरस्कार के अलावा बनारस हिंदू विश्वविद्यालय से डॉक्टरेट की मानद उपाधि।
:2002 में लता मंगेशकर पुरस्कार,2012 में फिल्म विश्वरूपम के लिए राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार,2016 में फिल्म बाजीराव मस्तानी में “मोहे रंग दो लाल” के लिए फिल्म फेयर अवार्ड भी दिए गए।
:पं.बिरजू महाराज ने कथक को और आगे बढ़ने हेतु नई दिल्ली में”कलाश्रम” की स्थापना की।
:नई दिल्ली स्थित भारतीय कला केंद्र जिसे बाद में “कथक केंद्र” कहा जाने लगा में काम करते थे बाद में इसके अध्यक्ष भी बन गए थे।


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By gkvidya

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