
सन्दर्भ-भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन ISRO निजी भागीदारी के साथ एक स्मॉल सॅटॅलाइट लांच व्हीकल(SSLV) विकसित करेगा,जिसको 2022 की पहली तिमाही में लांच कर दिया जाएगा।
इसका उद्देश्य क्या है
:इसका ध्रुवीय उपग्रह प्रक्षेपण यान(PSLV) की तुलना में कम कीमत और उच्च प्रक्षेपण दर होने के कारण छोटे उपग्रहों को लांच करने के लिए बनाया गया है।
प्रमुख तथ्य-:SSLV की विकास प्रक्रिया अपने अंतिम चरण में है।
:इसकी पहली उड़ान 2022 की पहली तिमाही में की जाएगी।
:SSLV 500 किमी की कक्षा में 500 किग्रा की पेलोड क्षमता प्रदान करेगा।
:इस परियोजना के लिए सरकार ने 169 करोड़ रूपये की स्वीकृति दी है।
:निजी फर्म इस परियोजना के लिए हार्डवेयर और अन्य संरचनाओ जैसे सॉलिड मोटर केस,नोजल सब सिस्टम,अंतर चरण :संरचनाएं,और एक्चुएटर मोटर्स को बनाने में सहायता दे रहा है।
SSLV क्या है-:यह एक छोटा लिफ्ट लांच वाहन है जिसमे 300 किग्रा पेलोड सूर्य तुल्यकालिक कक्षा में और 600 किग्रा का पेलोड पृथ्वी की निम्न कक्षा में पहुंचाने की क्षमता है।
:इसका विकास इसरो द्वारा किया जा रहा है,जिसका डिज़ाइन 21 दिसंबर 2018 को थुम्बा में स्थित विक्रम साराभाई अंतरिक्ष केंद्र(VSSC) में तैयार किया गया था।
:पिछले पांच वर्षों में कुल 27 सॅटॅलाइट मिशन,और 25 लांच व्हीकल मिशन सफलता पूर्वक पूरे किये गए है।
इसी दौरान घरेलु और विदेशी ग्राहकों के 286 वाणिज्यिक उपग्रह और भारतीय विश्वविद्यालयों के 8 छात्र उपग्रहों को भी लांच किया गया था।
:अंतरिक्ष विभाग स्पेस ट्रांसपोर्टेशन सिस्टम,सॅटॅलाइट कम्युनिकेशन एंड नेविगेशन,अर्थ ऑब्जर्वेशन,अंतरिक्ष विज्ञानं और ग्रह अन्वेषण,क्षमता निर्माण और अंतरिक्ष अनुप्रयोगों के क्षेत्र में अल्पकालिक और दीर्घकालिक योजनओं को तैयार कर रहा है।