सन्दर्भ:
: पांडिचेरी साइंस फोरम (PSF) द्वारा आयोजित एक कार्यक्रम में छात्रों के एक समूह को शून्य छाया दिवस (ZSD- Zero Shadow Day) घटना का प्रत्यक्ष अनुभव प्रदान किया गया।
शून्य छाया दिवस के बारे में:
: यह एक उप-सौर बिंदु है जहां एक विशेष अक्षांश पर सूर्य सीधे सिर के ऊपर होता है।
: जब सूर्य आंचल (आकाश का उच्चतम बिंदु) पर होता है तो उसकी किरणें सतह के बिल्कुल लंबवत एक विशेष बिंदु से टकराएंगी।
: इससे व्यक्ति की परछाई बिल्कुल उसके नीचे बन जाएगी, जिससे ऐसा लगेगा जैसे कोई परछाई नहीं है।
यह कब घटित होता है?
: हर साल मई और जुलाई/अगस्त में दो शून्य छाया दिवस होते हैं, जो कर्क रेखा और मकर रेखा के बीच स्थित स्थानों पर मनाए जाते हैं।
: एक उत्तरायण के दौरान (जब सूर्य उत्तर की ओर बढ़ता है), और दूसरा दक्षिणायन के दौरान (जब सूर्य दक्षिण की ओर बढ़ता है)।
: यह एक सेकंड के छोटे हिस्से तक रहता है, लेकिन इसका असर एक मिनट से डेढ़ मिनट तक देखा जा सकता है।