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मणिपुर में दुनिया का सबसे ऊँचा पूल

चर्चा में क्यों हैरैलवे मणिपुर में दुनिया का सबसे ऊँचा पूल बना रहा है,जो 111 किमी लम्बे जिरीबाम-इम्फाल रेलवे परियोजना का यह हिस्सा है।

उद्देश्य-इस परियोजना का उद्देश्य मणिपुर की राजधानी कोहिमा को देश के ब्रॉडगैज नेटवर्क से जोड़ना है।
प्रमुख तथ्य-:यह पूल यूरोप के मोंटेनेग्रो के 139 मीटर ऊँचे माला रिजेका वायडक्ट के रिकॉर्ड तोडा है।
:इसकी कुल ऊंचाई 141 मीटर है,अब यह पूल नोनी घाटी को पार करने वाला विश्व सबसे ऊँचा पूल बन जायेगा।
:अब इससे 111 किमी दूरी मात्र 2-2.5 घंटे में तय की जाएगी, पहले 220 किमी लम्बे जिरीबाम-इम्फाल की दूरी तय करने में 10-12 घंटे लगती थी।
:इस परियोजना का विकास सरकार के एक्ट ईस्ट नीति के एक हिस्से के तहत ही किया जा रहा है,जो पूर्वोत्तर की सभी राज्यों की राजधानियों को ब्रॉड ग़ैज़ से जोड़ने और सीमावर्ती क्षेत्रों में रेल नेटवर्क को मजबूती देने पर केंद्रित है।
:इस पूल को कई चरणों में दिसंबर 2022 तक पूरा करने की संभावना है।
:इस 111 किमी के लम्बे पूल में अधिकतम हिस्सा सुरंगो का है।
:इस परियोजना की कुल लागत 374 करोड़ रुपये है।
:पूल की कुल लम्बाई 703 मीटर है,इसमें खम्बो का निर्माण हाइड्रोलिक ऑगर्स के उपयोग द्वारा बनाया गया है तथा इसमें स्लीप फार्म तकनीक का प्रयोग किया गया है।
:यह पूल विभिन्न चरणों में बनेगा,जिसमे पहला चरण-में 12 किमी का निर्माण पहले ही किया जा चूका है।
:दूसरे चरण का काम जारी है जिसमे 98% तक काम पूरा हो चुका है,और इसके फरवरी 2022 तक पूर्णतः संपन्न होने की सम्भावना है।
:तीसरे चरण का काम 2022 तक पूरा हो जायेगा यह निर्माण खोंगसांग से तुपुल के मध्य होगा।
:चौथा अंतिम चरण का निर्माण तुपुल से इम्फाल घाटी के बीच दिसंबर 2023 तक पूरा कर लिया जायेगा।
इसके निर्माण में चुनौतियाँ-:यहाँ सबसे बड़ी चुनौती है मानसून के दौरान बारिश के कारण भूस्खलन का होना जिस पर NH-37 स्थित है।
:यहा अप्रैल से लेकर अक्टूबर तक काफी बारिश होती है।

:उग्रवाद से प्रभावित है यह स्थान जिससे चुनौतियां और बढ़ जाती है।


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By gkvidya

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