Sun. Sep 8th, 2024
शेयर करें

यूएन:दुनिया भर में बढ़ती जा रही है जंगल की आग

सन्दर्भ-23 फरवरी को जारी संयुक्त राष्ट्र की एक रिपोर्ट के अनुसार,जंगलों में आग लगने की घटनाओं की आवृत्ति व गहनता बढ़ती जा रही है जिसके और सदी के अंत तक विश्व स्तर पर बढ़ने की संभावना 50% से अधिक हो सकती है।
नुकसान क्या होगा-यह आग दुनिया के बड़े हिस्से को झुलसा देगी,जिससे अस्वास्थ्यकर धुआं प्रदूषण और अन्य समस्याएं पैदा होंगी,जिनका सामना करने के लिए View Postसरकारें तैयार नहीं हैं।
प्रमुख तथ्य- 2030 तक वनों में आग फैलने की घटनाओं में 30% तक बढ़ सकती है।
:रिपोर्ट के अनुसार,पश्चिमी अमेरिका,उत्तरी साइबेरिया,मध्य भारत और पूर्वी ऑस्ट्रेलिया में पहले से ही अधिक आग लग रही है।
:आर्कटिक समेत वे अन्य क्षेत्र,जोकि पहले वनों में आग लगने से आमतौर पर प्रभावित नहीं हुए हैं, वहाँ भी ये जोखिम बढ़ रहा है।
:इंडोनेशिया में उष्णकटिबंधीय जंगलों और दक्षिण अमेरिका के दक्षिणी अमेज़ॅन में भी जंगल की आग बढ़ने की संभावना है।
:बेकाबू और विनाशकारी जंगल की आग दुनिया के कई हिस्सों में मौसमी कैलेंडर का एक अपेक्षित हिस्सा बनती जा रही है।
:भूमि उपयोग बदलाव आग को और भी बदतर बना सकते हैं,जैसे कि लॉगिंग जो मलबे को पीछे छोड़ देती है जो आसानी से जल सकती है।
:साथ ही जलवायु परिवर्तन की वजह से सूखा पड़ने,वायु तापमान बढ़ने,अपेक्षाकृत कम आर्द्रता होने,बिजली कड़कने,और तेज़ हवाएं चलने की घटनाएं होती हैं,इससे ज़्यादा गर्म,ज़्यादा शुष्क परिस्थितियों में अधिक लम्बे समय तक आग फैलने की घटनाएं होती हैं।
:संयुक्त राज्य में,अधिकारियों ने हाल ही में “हॉट स्पॉट” के आसपास अधिक आक्रामक रूप से पतले जंगलों द्वारा अगले दशक में आग के जोखिम को कम करने के लिए $ 50 बिलियन के प्रयास का अनावरण किया,जहां प्रकृति और पड़ोस टकराते हैं।
:संयुक्त राष्ट्र के शोधकर्ताओं ने धुएं के साँस लेने से होने वाले खतरों के बारे में अधिक जागरूकता का भी आह्वान किया,जो सालाना लाखों लोगों को प्रभावित कर सकता है क्योंकि प्रमुख जंगल की आग से निकलने वाले प्लम अंतरराष्ट्रीय सीमाओं में हजारों मील दूर बहते हैं।
:बड़े जंगल की आग,जो दिनों या हफ्तों तक अनियंत्रित रूप से भड़क सकती है,श्वसन और हृदय की समस्याओं का कारण बनती है,खासकर बुजुर्गों और बहुत कम उम्र के लोगों के लिए।
:इसके अतिरिक्त बड़ी आग वन्यजीवों के लिए भी विनाशकारी हो सकती है,कुछ लुप्तप्राय प्रजातियों को विलुप्त होने के कगार पर धकेलती है।
:वैज्ञानिकों ने गणना के अनुसार लगभग तीन बिलियन स्तनधारी,सरीसृप,पक्षी और मेंढक मारे गए या उन्हें नुकसान पहुँचाया गया,उदाहरण के लिए,ऑस्ट्रेलिया की विनाशकारी 2019-20 झाड़ियों से।
:यूएन ने रोकथाम की दिशा में देशों की सरकारों से एक ऐसे फ़ार्मूले को अपनाने का आग्रह किया गया है,जिसमें दो-तिहाई रक़म को नियोजन,रोकथाम,तैयारी व पुनर्बहाली के लिये आवण्टित करने का आग्रह किया गया है,शेष एक-तिहाई रक़म को जवाबी कार्रवाई के लिये रखना पड़ेगा।


शेयर करें

By gkvidya

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *