चर्चा में क्यों है-यूनेस्को ने हॉल ही में दिल्ली के ऐतिहासिक निजाम्मुद्दीन बस्ती समुदाय समग्र शहरी पुनरुद्धार की एक परियोजना को दो पुरस्कार किया।
:यह पुरस्कार धरोहर संरक्षण के लिए एशिया प्रशांत पुरस्कार की दो श्रेणियों में दिया गया।
प्रमुख तथ्य-:इसे सतत पुरस्कार और उत्कृष्टता पुरस्कार जैसे अन्य पुरस्कार भी प्रदान किया गया।
छह देशो भारत,बांग्लादेश,चीन,जापान,मलेशिया,और थाईलैंड की नौ परियोजनों को धरोहर विषेशज्ञों की एक समिति ने सम्मानित किया।
:इसके शामिल अन्य है बांग्लादेश के ढाका में स्थित डोलेश्वर हनीफिआ जामें मस्जिद,मलेशिया के पेनांग में स्थित थाई पाक कुंग मंदिर,और थाईलैंड के पत्तनी में बान खून फिथक राया को अवार्ड ऑफ़ मेरिट प्रदान किया गया।
:इसी तरह चीन के जियांग शी में स्थित जिंगडेझेन पेंगजिया ऐली कंपाउंड और जापान के मियामी में केसेनुमा ऐतिहासिक सिटीस्केप को अवार्ड ऑफ़ डिस्टिंक्शन दिया गया।
:पुरे एशिया प्रशांत क्षेत्र से 12 देशों की 39 प्रविष्टियों पर विचार किया गया था,जिसकी समीक्षा नवंबर माह किया गया था।
क्या है निजामुद्दीन बस्ती प्रोजेक्ट–:इसे 2007 में भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण,आगा खां ट्रस्ट फॉर कल्चर,दिल्ली शहरी विरासत फॉउण्डेशन और दिल्ली नगर निगा द्वारा आरम्भ किया गया था।
:इस परियोजना के तहत सूफी संत हज़रत निजामुद्दीन औलिया के मकबरा सहित इसके आस पास स्थित 20 से ज्यादे ऐतिहासिक इमारतों का जीर्णोद्धार किया गया है।
:निजामुद्दीन बस्ती क्षेत्रों में स्थित तीन सांस्कृतिक महत्त्व की इमारतों 64 खम्भा,निजामुद्दीन की बावड़ी और जमात खाना मस्जिद का संरक्षण भी शामिल था।
क्या है निजामुद्दीन बस्ती प्रोजेक्ट उद्देश्य-:यह एक शहरी नवीकरण योजना है,इसके माध्यम से बस्ती में विकास कायों और ऐतिहासिक इमारतों के संरक्षण का काम किया गया।
:लोगो के जीवन स्तर को सुधारने और महिलाओं और युवाओं के लिए रोजगार सृजन का काम किया।
निजामुद्दीन औलिया-:इनका जन्म उत्तर प्रदेश के बदायूं में 1238 में हुआ था इनके गुरु बाबा फरीद थे जिनके साथ ये अजोधन में समय व्यतीत करते थे। इन्होने दिल्ली में अपना खानकाह बनाया। ये चिश्ती घराने के चौथे संत थे,इनकी मृत्यु पश्चात् निजामुद्दीन में मकबरा बनना शुरू हुआ जिसका नवीनीकरण 1562 तक होता रहा। ये सभी धर्मो के लोगो में लोकप्रिय थे। इनके सबसे विख्यात शिष्य थे आमिर खुसरों थे।