सन्दर्भ-भारतीय रिजर्व बैंक ने जारी कहा है कि अनिवासी भारतीयों (एनआरआई) और भारत के विदेशी नागरिकों (ओसीआई) को कृषि भूमि, फार्म हाउस या वृक्षारोपण संपत्ति के अलावा भारत में अचल संपत्ति के अधिग्रहण और हस्तांतरण के लिए आरबीआई की पूर्व स्वीकृति की आवश्यकता नहीं है।
प्रमुख तथ्य-:इसे विदेशी मुद्रा प्रबंधन (गैर-ऋण साधन) नियम, 2019, दिनांक 17 अक्टूबर 2019 (समय-समय पर संशोधित) के अध्याय IX में निर्धारित नियम और शर्तों के अनुसार, विदेशी मुद्रा प्रबंधन अधिनियम (फेमा) की धारा 46 के तहत जारी किया गया।
:यह सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर समाचार पत्रों की रिपोर्टों के आधार पर रिजर्व बैंक के विभिन्न कार्यालयों में प्राप्त बड़ी संख्या में प्रश्नों के जवाब में दिया गया है कि क्या भारत में अचल संपत्ति के अधिग्रहण या हस्तांतरण के लिए आरबीआई की पूर्व स्वीकृति आवश्यक है।
:आरबीआई ने कहा कि दीवानी अपील में सुप्रीम कोर्ट का 26 फरवरी 2021 का संबंधित निर्णय विदेशी मुद्रा विनियमन अधिनियम (फेरा), 1973 के प्रावधानों से संबंधित था,जिसे फेमा,1999 की धारा 49 के तहत निरस्त कर दिया गया है।
:वर्तमान में,एनआरआई और ओसीआई फेमा 1999 के प्रावधानों द्वारा शासित हैं।
:विदेशी मुद्रा प्रबंधन अधिनियम 1999 (पहले फेरा) के तहत,भारतीय मूल के विदेशी नागरिकों बनाम भारतीय मूल के नहीं के बीच अंतर करने की आवश्यकता है।
:भारतीय मूल के लोगों को कानूनी रूप से भारतीय मूल के व्यक्तियों (पीआईओ) या ओसीआई के रूप में वर्गीकृत किया जाता है। अनिवासी भारतीयों (एनआरआई),ओसीआई और पीआईओ को भारत में अचल संपत्ति के अधिग्रहण के लिए पूर्व अनुमोदन की आवश्यकता नहीं है,सिवाय फार्म हाउस या कृषि भूमि के अधिग्रहण के मामले में।
:दूसरी ओर,गैर-भारतीय मूल के विदेशियों को भारत में अचल संपत्ति के अधिग्रहण के लिए हमेशा आरबीआई से अनुमति की आवश्यकता होती है,चाहे वह फेरा,1973 या फेमा,1999 के तहत हो।