चर्चा का कारण-1988 से हर वर्ष 1st दिसंबर को विश्व एड्स दिवस मनाया जा रहा है। यह विश्व स्वास्थ्य संगठन के 11 आधिकारिक वैश्विक सार्वजानिक स्वास्थ्य अभियानों में से एक है।
उद्देश्य है-HIV संक्रमण के प्रसार के विरुद्ध जन जागरूकता फैलाना।
थीम है-असमानताओं को समाप्त करना(Ending Inequalities),एड्स का अंत
एड्स के कारण-:यह ह्यूमन इम्यूनोडेफेसिएन्सी वायरस(HIV) के संक्रमण के कारण होता है,इसके कारण व्यक्ति के शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता नष्ट होने लगता हे जिससे शरीर सामान्य बीमारियों से लड़ने में अक्षम हो जाता है।
:यह बीमारी तीन चरणों में होती है।
:सबसे पहल मामला 1959 में कांगो में पाया गया था.और ऐसा माना जाता है कि यह बीमारी बंदरो से होकर इंसानो में पंहुचा है।
:1980 के बाद इसका तीव्र गति से प्रसार हुआ है और आज तक एक लाईलाज बीमारी बना हुआ है।
:पहली बार कब मनाया गया-:पहली बार इसे 1987 में थॉमस नेट्टर और जेम्स डब्ल्यू बन्न प्रस्तावित किया गया था इन्होने तत्कालीन एड्स ग्लोबल कार्यक्रम के निदेशक डॉ. जोनाथन मन्न को यह विचार साझा किया जिसकी स्वीकृति के बाद वर्ष 1दिसंबर 1988 से इसे पहली बार मानना आरम्भ किया गया।
:पहले इसे बच्चों और युवाओं से ही जोड़कर देखा जाता था लेकिन बाद में इसके संक्रमण से पता चला की यह सभी वर्ग के व्यक्तियों को प्रभावित कर सकता है।
:WHO ने वर्ष 1996 से वैश्विक स्तर पर प्रचार प्रसार का काम शुरू कर दिया और 1997 से विश्व एड्स अभियान की शुरुआत कर दी।
भारत की स्थिति-:भारत में पहली बार इसका मामला 1986 में पाया गया था और अबतक भारत सरकार के रिपोर्ट के अनुसार HIV के कुल रोगिओं की संख्या 2.1 मिलियन है,और दक्षिण अफ्रीका और नाइजीरिया के बाद तीसरा बड़ी संख्या वाला देश है।वही विश्व में 37.7 मिलियन लोग संक्रमित है।
:भारत में इसके लिए प्रत्येक वर्ष नवम्बर के अंतिम सप्ताह में एड्स जागरूकता सप्ताह के रूप में मनाया जाता है।
:इसके अलावा भारत जन जागरूकता सहित एंटीरेट्रोवायरल दवाईयों को जनता के लिए उपलब्ध करा रहा है।
:एड्स नियंत्रण के लिए भारत सरकार के स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय के अंतर्गत राष्ट्रयि एड्स नियंत्रण संगठन(NACO) की 1992 में स्थापना किया गया।इसके अभी 91 केंद्र चल रहे है।
:इसके अलावा जन जागरूकता के लिए रेड रिबन एक्सप्रेस भी चलाया जा रहा है।