सन्दर्भ:
: हाल ही में, उत्तरी दिल्ली के शालीमार बाग में स्थित मुगलकालीन महल, शीश महल का जीर्णोद्धार किया गया और केंद्रीय संस्कृति एवं पर्यटन मंत्री द्वारा इसका अनावरण किया गया।
शीश महल के बारे में:
: इसका निर्माण 1653 में मुगल बादशाह शाहजहां की पत्नी इज़-उन-निशा बेगम ने करवाया था।
: यह स्मारक कश्मीर के शालीमार बाग की एक श्रद्धांजलि और प्रतिकृति है।
: यह मुगल उद्यान वास्तुकला का एक बेहतरीन उदाहरण है जिसे शाहजहानाबाद की हलचल से दूर एक शाही विश्राम स्थल के रूप में बनाया गया है।
: इसका निर्माण- मूल रूप से ईंटों और लाल बलुआ पत्थर से निर्मित, पूर्व और पश्चिम में प्रवेश द्वारों के साथ, महल में एक तोरणद्वार है, जिसके दोनों ओर तीन मेहराबदार दालान हैं।
: तोरणद्वार के पीछे एक केंद्रीय हॉल है, जिसके प्रत्येक विंग में एक कम्पार्टमेंट है।
: शीश महल की मुख्य इमारत में एक बारादरी थी, जिसके बीच से एक जल चैनल बहता था।
: इसके दो सुव्यवस्थित, दर्पण-निर्मित कक्षों में कांगड़ा और राजस्थानी कलम की पेंटिंग हैं, जो केशव, सूरदास और बिहारी के काव्यात्मक दर्शन को दर्शाती हैं।
: माना जाता है कि महल से सटी लाल बलुआ पत्थर की इमारत का इस्तेमाल हमाम (सार्वजनिक स्नानघर) के रूप में किया जाता था, जो ईंट की चिनाई और लाल बलुआ पत्थर से बनी थी।
: ऐतिहासिक महत्व- औरंगजेब ने अपना शाही राज्याभिषेक (1658) इसी महल में किया था।
: 1983 में इसे राष्ट्रीय महत्व का स्मारक घोषित किया गया और तब से एएसआई इसे संरक्षित कर रहा है।
