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BHARAT KI ARCTIC NITI
भारत की आर्कटिक नीति

सन्दर्भ-केंद्रीय विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी और पृथ्वी विज्ञान राज्यमंत्री जीतेन्द्र सिंह ने नई दिल्ली में भारत की आर्कटिक नीति जारी की।
विषय/शीर्षक-भारत और आर्कटिक:सतत विकास के लिए साझेदारी का निर्माण।
प्रमुख तथ्य-:भारत की आर्कटिक नीति से देश के भविष्य को तैयार करने में महत्‍वपूर्ण भूमिका निभाएगी,जिससे जलवायु परिवर्तन जैसे चुनौती समाधान किया जा सकता है।
:भारत की आर्कटिक नीति को एक कार्य योजना और प्रभावी संचालन और समीक्षा तंत्र के माध्यम से लागू किया जाएगा।
:भारत की इस आर्कटिक नीति को लागू करने में अनुसंधान कर्ता,अकादमिक,व्यवसाय और उद्योग सहित अनेक हितधारक शामिल होंगे।
:आर्कटिक के साथ भारत का जुड़ाव एक सदी पहले से है जब पेरिस में फरवरी 1920में “स्वालबार्ड संधि” पर हस्ताक्षर किए गए थे।
:आज भारतीय अनुसंधानकर्ताओं द्वारा आर्कटिक क्षेत्र में वैज्ञानिक अध्ययन तथा अनुसंधान किया जा रहा है,जिनमे प्रमुख रूप से आर्कटिक ग्लेशियर्स यानी हिमनदों के द्रव्यमान संतुलन की निगरानी कर रहे हैं और उनकी तुलना हिमालयी क्षेत्र के हिमनदों से कर रहे हैं।
:भारत आर्कटिक समुद्र विज्ञान,वातावरण,प्रदूषण और सूक्ष्म जीव विज्ञान से जुड़े खोज एवं अध्ययनों में भागीदार रहा है।
:वर्तमान में 25 से अधिक विश्वविद्यालय एवं संस्थान भारत में आर्कटिक अनुसंधान शामिल है।
:तेरह राष्ट्र आर्कटिक परिषद में पर्यवेक्षक हैं जिनमें फ्रांस,जर्मनी,इटली गणराज्य,जापान,नीदरलैंड,पीपल्स रिपब्लिक ऑफ चाइना,पोलैंड,भारत कोरिया गणराज्य,स्पेन,स्विट्जरलैंड,यूनाइटेड किंगडम शामिल हैं।
:वर्ष 2014 और 2016 में कोंग्सफजॉर्डन में भारत की पहली मल्टी सेंसर मुरेड वेधशाला,ग्रुवेबडेट एनवाई एलेसंड में सबसे उत्तरी वायुमंडलीय प्रयोगशाला को आर्कटिक क्षेत्र में लांच किया गया था।
:2022 तक भारत ने आर्कटिक क्षेत्र में तरह अभियानों का सफल संचालन किया है।
:भारत की यह आर्कटिक नीति छह स्तम्भों वाली होगी-
1-भारत के वैज्ञानिक और अनुसंधान की मजबूती
2-परिवहन और संपर्क
3-जलवायु और पर्यावरण सरंक्षण
4-आर्थिक और मानव विकास
5-राष्ट्रीय आर्कटिक क्षेत्र में क्षमता निर्माण
6-अंतर्राष्ट्रीय सहयोग
:भारत के लिए यह क्षेत्र अत्यधिक भू-राजनीतिक महत्त्व रखता है क्योकि ऐसा अनुमान है कि यह क्षेत्र 2050 तक बर्फ मुक्त हो जाएगा।

नीति की विस्तृत जानकारी के लिए क्लिक करें


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By gkvidya

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