![Bharat Ko UNESCO's 2003 Convention Ki Antar Sarkari Samiti Me Chuna Gaya](https://gkvidya.com/wp-content/uploads/2022/07/Bharat-Ko-UNESCOs-2003-Convention-Ki-Antar-Sarkari-Samiti-Me-Chuna-Gaya-150x150.jpg)
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सन्दर्भ:
:भारत को अमूर्त सांस्कृतिक विरासत की सुरक्षा हेतु 2022-2026 चक्र के लिए UNESCO’s 2003 Convention की अंतर सरकारी समिति का सदस्य चुना गया है।
प्रमुख तथ्य:
:अंतर सरकारी समिति (ICH) के लिए ये चुनाव 2003 कन्वेंशन की 9वीं महासभा के दौरान 5 से 7 जुलाई 2022 को पेरिस स्थित यूनेस्को मुख्यालय में हुए।
:भारत इससे पहले 2006 से 2010 और 2014 से 2018 तक दो बार ICH समिति के सदस्य के रूप में कार्य कर चुका है।
:भारत यूनेस्को की विश्व धरोहर समिति का 2021-2025 के दौरान भी सदस्य है।
:एशिया-प्रशांत समूह के भीतर खाली चार सीटों के लिए भारत, बांग्लादेश, वियतनाम, कंबोडिया, मलेशिया और थाईलैंड इन छह देशों ने अपनी उम्मीदवारी प्रस्तुत की थी। यहां उपस्थित और मतदान कर रहे 155 देशों के दलों की ओर से भारत को कुल 110 वोट मिले।
:2003 कन्वेंशन की अंतर सरकारी समिति में 24 सदस्य होते हैं और इसे समान भौगोलिक प्रतिनिधित्व और रोटेशन के सिद्धांतों के अनुसार कन्वेंशन की आम सभा में चुना जाता है।
:इस समिति के सदस्य देश चार साल की अवधि के लिए चुने जाते हैं।
:इस अंतर सरकारी समिति के कुछ मुख्य कार्यों में कन्वेंशन के उद्देश्यों को बढ़ावा देना, सर्वोत्तम प्रथाओं को लेकर मार्गदर्शन देना और अमूर्त सांस्कृतिक विरासत की सुरक्षा के उपायों पर सुझाव देना शामिल है।
:ये समिति अपनी सूचियों में अमूर्त विरासत को शामिल करने के राष्ट्र दलों के अनुरोधों और साथ-साथ कार्यक्रमों तथा परियोजनाओं के प्रस्तावों को भी जांचती है।
:अपने 2022-2026 के कार्यकाल के लिए भारत ने मानवता की अमूर्त सांस्कृतिक विरासत के संरक्षण और संवर्धन के लिए एक स्पष्ट विज़न तैयार किया है।
:भारत जिन प्राथमिकता वाले क्षेत्रों पर ध्यान केंद्रित करेगा उनमें सामुदायिक भागीदारी को बढ़ावा देना,अमूर्त विरासत के माध्यम से अंतर्राष्ट्रीय सहयोग को मजबूत करना, अमूर्त सांस्कृतिक विरासत पर अकादमिक अनुसंधान को बढ़ावा देना और कन्वेंशन के कार्यों को संयुक्त राष्ट्र के सतत विकास लक्ष्यों के अनुरूप मिलाना शामिल है।
:भारत ने सितंबर 2005 में अमूर्त सांस्कृतिक विरासत की सुरक्षा के लिए 2003 के कन्वेंशन की पुष्टि की।
:इस कन्वेंशन की पुष्टि करने वाले सबसे शुरुआती राष्ट्र दलों में से एक के रूप में भारत ने अमूर्त विरासत से संबंधित मामलों के प्रति खासी प्रतिबद्धता दिखाई है और अन्य राष्ट्र दलों को इसकी पुष्टि करने के लिए सक्रिय रूप से प्रोत्साहित किया है।
:मानवता की अमूर्त सांस्कृतिक विरासत की प्रतिनिधि सूची में 14 धरोहरों के साथ भारत अमूर्त सांस्कृतिक विरासत की सूची में भी उच्च स्थान पर है।
:2021 में दुर्गा पूजा को इसमें शामिल किए जाने के बाद भारत ने 2023 में विचार किए जाने के लिए गुजरात के गरबा का नामांकन प्रस्तुत किया था।
UNESCO’s 2003 Convention:
:अंतर सरकारी समिति के एक सदस्य के रूप में भारत के पास UNESCO’s 2003 Convention के कार्यान्वयन पर करीब से निगरानी रखने का मौका होगा।
:भारत UNESCO’s 2003 Convention का एक हस्ताक्षरकर्ता है,जिसका उद्देश्य परंपराओं और सजीव अभिव्यक्ति के साथ-साथ अमूर्त विरासत की रक्षा करना है।
:UNESCO’s 2003 Convention के दायरे और असर को मजबूत करने के उद्देश्य से भारत अमूर्त विरासत को प्रभावी ढंग से सुरक्षित रखने के लिए दुनिया भर में विभिन्न कारकों की क्षमता को इकट्ठा करना चाहता है।
:UNESCO’s 2003 Convention की तीन सूचियों – यानी, तत्काल सुरक्षा सूची, प्रतिनिधि सूची और सुरक्षा की अच्छी प्रथाओं का रजिस्टर, इनमें धरोहरों का जो असंतुलन है उसे देखते हुए भारत पूरा प्रयास करेगा कि जीवित विरासत की विविधता और महत्व को बेहतर तरीके से प्रदर्शित करने के लिए कन्वेंशन में राष्ट्र दलों के भीतर अंतर्राष्ट्रीय संवाद को प्रोत्साहित करे।
:कोलकाता की दुर्गा पूजा को शामिल होने के बाद,भारत की अब 14 अमूर्त सांस्कृतिक विरासत मानवता के आईसीएच की प्रतिष्ठित यूनेस्को प्रतिनिधि सूची में शामिल हो गए हैं।
:हाल के वर्षों में, जिन आईसीएच को शामिल किया गया है, उनमें कुंभ मेला (2017 में ),योग ( 2016 में ) शामिल हैं।
अमूर्त सांस्कृतिक विरासतों (ICH) की सूची:
: (1) वैदिक जप की परंपरा (3) रामलीला, रामायण का पारंपरिक प्रदर्शन (3) कुटियाट्टम, संस्कृत थिएटर (4) राममन, गढ़वाल हिमालय के धार्मिक त्योहार और धार्मिक अनुष्ठान, भारत (5) मुदियेट्टू, अनुष्ठान थियेटर और केरल का नृत्य नाटक (6) कालबेलिया लोक गीत और राजस्थान के नृत्य (7) छऊ नृत्य (8) लद्दाख का बौद्ध जप: हिमालय के लद्दाख क्षेत्र, जम्मू और कश्मीर, भारत में पवित्र बौद्ध ग्रंथों का पाठ (9) मणिपुर का संकीर्तन, पारंपरिक गायन, नगाडे और नृत्य (10) पंजाब के ठठेरों द्वारा बनाए जाने वाले पीतल और तांबे के बर्तन (11) योग (12) नवरोज़, नोवरूज़, नोवरोज़, नाउरोज़, नौरोज़, नूरुज़,नौरेज़,, नोवरूज़, नवरूज़,नोवरूज़, नेवरूज़ (13) कुंभ मेला,(14) कोलकाता की दुर्गा पूजा।