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नए संसद भवन में सेंगोल स्थापना
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सन्दर्भ:

: नए संसद भवन में सेंगोल (Sengol) की स्थापना केंद्र सरकार ने कर दिया।

सेंगोल से जुड़े प्रमुख तथ्य:

: सेंगोल के माध्यम से सत्ता हस्तांतरण का प्रतीक है।
: सेंगोल तमिल शब्द ‘सेम्मई’ से उपजा है, जिसका अर्थ है ‘सत्य का साथ
: एक छड़ीनुमा आकृति वाले 5 फीट लंबे चांदी से बने इस सेंगोल पर सोने की परत चढ़ाई गई है, इसके ऊपरी हिस्से पर नंदी विराजमान हैं और इस पर झंडे बने हुए हैं।
: 1947 में तिरुवावडुतुरै आदीनम् ने एक विशेष सेंगोल बनाया था।
: आनंद भवन से लाकर नए संसद भवन में सेंगोल की स्थापना के दौरान भारत की स्वतंत्रता के प्रथम पल को पुनर्जीवित करने का अवसर है।
: सेंगोल ने सदा व्यक्ति को ये याद दिलाया कि उसके ऊपर देश के कल्याण की जिम्मेदारी है और वह कर्तव्य पथ से कभी पीछे नहीं हटेगा।
: यह सेंगोल ही था जिसने स्वतंत्र भारत को गुलामी से पहले मौजूद रहे इस देश के कालखंड से जोड़ा और यही 1947 में देश के स्वतंत्र होने पर सत्ता हस्तांतरण का प्रतीक बना।
: सेंगोल का एक और महत्व यह है कि यह भारत के अतीत के गौरवशाली वर्षों और परंपराओं को स्वतंत्र भारत के भविष्य से जोड़ता है।
: सेंगोल को लोकसभा अध्यक्ष की कुर्सी के बगल में पोडियम पर स्थापित किया गया

अधीनम कौन थे:

: शैव परंपरा के गैर-ब्राह्मण अनुयायी थे अधीनम,और पांच सौ साल प्राचीन थे।
: चोल वंश में सत्ता के हस्तातंरण के वक्त सेंगोल को सौंपा जाता था।
: इससे पहले इसे धर्मगुरूओं द्वारा विशेष अनुष्ठान से पवित्र किया जाता था।
: राजगोपालाचारी ने आजादी के बाद तमिलनाडु स्थित थिरुवावदुथुरई आधीनम के प्रमुख से भारतीय हाथों में सत्ता के हस्तांतरण के लिए इसी अनुष्ठान को करने का अनुरोध किया था।


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By gkvidya

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