
सन्दर्भ-जनजातीय कार्य मंत्रालय ने तेलंगाना के राजकीय त्यौहार “मेदाराम जतारा” को विशेष उत्साह के साथ मनाने में मदद की है।
त्यौहार का उद्देश्य-तेलंगाना के जनजातीय समुदायों और आगंतुकों के बीच जागरूकता तथा एक सामंजस्यपूर्ण संबंध कायम करना साथ ही जनजातीय परंपराओं,संस्कृति और विरासत को संरक्षित करना तथा वैश्विक स्तर पर उनके आदिवासी इतिहास को बढ़ावा देना।
प्रमुख तथ्य-तेलंगाना के दूसरे सबसे बड़े जनजातीय समुदाय- कोया जनजाति द्वारा चार दिनों तक मनाया जाता है।
:इस वर्ष इसका आयोजन 16 से 19 फरवरी, 2022 के बीच किया जा रहा है।
:मेदाराम जतारा, कुंभ मेले के बाद भारत का दूसरा सबसे बड़ा मेला है।
:देवी सम्मक्का और सरलम्मा के सम्मान में मेदाराम जतारा आयोजित किया जाता है।
:यह दो साल में एक बार “माघ” (फरवरी) के महीने में पूर्णिमा के दिन मनाया जाता है।
:तेलंगाना सरकार के आदिवासी कल्याण विभाग के सहयोग से कोया जनजातियों द्वारा जतारा त्योहार द्विवार्षिक रूप से मनाया और आयोजित किया जाता है।
:त्यौहार के फुटफॉल/व्यक्तियों की संख्या और इसके शुभ महत्व को ध्यान में रखते हुए,जतारा को 1996 में एक राजकीय त्यौहार घोषित किया गया था।
:आजादी का अमृत महोत्सव के तहत,भारत सरकार ने घोषणा की है कि 2022 के दौरान आदिवासी संस्कृति और विरासत पर मुख्य रुप से ध्यान दिया जाएगा।
:यह एक भारत श्रेष्ठ भारत की भावना का भी प्रतीक है।
:जनजातीय कार्य मंत्रालय ने मेदारम जतारा 2022 से संबंधित विभिन्न गतिविधियों के लिए 2.26 करोड़ रुपए मंजूर किए हैं।
:जनजातीय कार्य मंत्रालय ने वर्ष 2018 और 2020 में आयोजित जतारों के लिए प्रत्येक वर्ष 2.00 करोड़ रुपए जारी किए थे।