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डी वाई चंद्रचूड़ भारत के 50 वें मुख्य न्यायाधीश बनेडी वाई चंद्रचूड़ भारत के 50 वें मुख्य न्यायाधीश बने Photo@Google/Wiki
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सन्दर्भ:

: न्यायमूर्ति डी वाई चंद्रचूड़ को भारत का 50वां मुख्य न्यायाधीश नियुक्त किया गया।

डी वाई चंद्रचूड़:

: वह मौजूदा सीजेआई न्यायमूर्ति उदय उमेश ललित के 65 वर्ष की आयु प्राप्त करने के एक दिन बाद 9 नवंबर को शपथ लेंगे।
: जस्टिस ललित का संक्षिप्त कार्यकाल 74 दिनों का है, जबकि जस्टिस चंद्रचूड़ दो साल के लिए CJI के रूप में काम करेंगे।
: भारत के संविधान द्वारा प्रदत्त शक्ति का प्रयोग करते हुए, माननीय राष्ट्रपति ने 9 नवंबर,2022 से प्रभावी भारत के मुख्य न्यायाधीश के रूप में डॉ न्यायमूर्ति डी वाई चंद्रचूड़, नियुक्ति की।
: जस्टिस चंद्रचूड़ 10 नवंबर, 2024 को पद छोड़ देंगे,अर्थात 2 साल से अधिक का होगा।
: इस तरह यह हाल के दिनों में CJI के लिए सबसे लंबी अवधि के कार्यकाल में से एक है।
: जस्टिस चंद्रचूड़ के पिता जस्टिस वाईवी चंद्रचूड़ भी 2 फरवरी 1978 से 11 जुलाई 1985 तक भारत के 16वें मुख्य न्यायाधीश थे।
: न्यायमूर्ति चंद्रचूड़ को 13 मई, 2016 को सर्वोच्च न्यायालय में पदोन्नत किया गया था।
: इससे पूर्व, वह 31 अक्टूबर, 2013 से इलाहाबाद उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश थे।
: मार्च 29, 2000 में बॉम्बे उच्च न्यायालय के न्यायाधीश के रूप में उनकी नियुक्ति के साथ उनका न्यायिक करियर शुरू हुआ था।
: वह 1998 से न्यायाधीश के रूप में अपनी नियुक्ति तक भारत के अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल भी थे।
: उन्हें 1998 में बॉम्बे हाईकोर्ट द्वारा वरिष्ठ अधिवक्ता के रूप में नामित किया गया था।
: न्यायमूर्ति चंद्रचूड़ ने सेंट स्टीफंस कॉलेज, नई दिल्ली से अर्थशास्त्र में ऑनर्स के साथ बीए किया है।
: उन्होंने कैम्पस लॉ सेंटर, दिल्ली विश्वविद्यालय से एलएलबी की पढ़ाई पूरी की और हार्वर्ड लॉ स्कूल, यूएसए से एलएलएम और न्यायिक विज्ञान (एसजेडी) में डॉक्टरेट की उपाधि प्राप्त की।
: अगर उनके फैसलों पर बात की जाए तो वे कई निर्णयों में नागरिकों के मौलिक अधिकारों की प्रधानता को बरकरार रखा है।
: कुछ अहम फैसलों के लिए जाने जाते है-
1- समलैंगिकता को अपराध की श्रेणी से बाहर कर दिया।
2- अनुच्छेद 21 के तहत गोपनीयता को मौलिक अधिकार के रूप में मान्यता दी, और अपराध की श्रेणी से व्यभिचार को बाहर कर दिया।
3- सबरीमाला मंदिर में प्रवेश करने के लिए सभी उम्र की महिलाओं के अधिकार को बरकरार रखा।
4- अयोध्या-बाबरी मस्जिद मामले का फैसला करने वाले पांच जजों की बेंच के भी सदस्य थे।
: जाला मामले में चंद्रचूड़ का फैसला आया, जो कि शायरा बानो (2017) में शीर्ष अदालत के विचारों के जवाब में पारित किया गया था।


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By gkvidya

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