सन्दर्भ:
: भारतीय मसाला अनुसंधान संस्थान (IISR) कोझिकोड ने सफलतापूर्वक एक नया दानेदार चूना-आधारित ट्राइकोडर्मा (Trichoderma) फॉर्मूलेशन विकसित किया है।
ट्राइकोडर्मा के बारे में:
: ‘ट्राइकोलिम’ (Tricholime) नाम का फॉर्मूलेशन, ट्राइकोडर्मा और चूने को एक ही उत्पाद में एकीकृत करता है, जिससे किसानों के लिए इसका उपयोग आसान हो जाता है।
: ट्राइकोडर्मा एक फंगल बायोकंट्रोल एजेंट है, जो कई मिट्टी-जनित पौधों के रोगजनकों को दबाने में प्रभावी साबित हुआ है और फसल उत्पादन में एक सफल जैव-कीटनाशक और जैव-उर्वरक के रूप में कार्य करता है।
: ट्राइकोडर्मा के महत्व और पारंपरिक चूने के अनुप्रयोगों से उत्पन्न चुनौतियों को पहचानते हुए, IISR के वैज्ञानिकों ने चूने और ट्राइकोडर्मा को एकीकृत करने के लिए ‘ट्राइचोलिम’ विकसित किया।
ट्राइकोलिम का महत्व:
: यह समय लेने वाली दो-चरणीय प्रक्रिया की आवश्यकता को सफलतापूर्वक समाप्त कर सकता है।
: यह चूना-आधारित फॉर्मूलेशन पौधों के विकास को बढ़ावा देने के साथ-साथ मिट्टी की अम्लता को बेअसर करता है और एक ही अनुप्रयोग में फसलों को मिट्टी-जनित रोगजनकों से बचाता है।
: उन्होंने कहा कि यह फॉर्मूलेशन मिट्टी की भौतिक स्थिति में सुधार, द्वितीयक पोषक तत्वों की उपलब्धता को बढ़ाकर और मिट्टी की सूक्ष्मजीव गतिविधि को बढ़ाकर फसल को भी लाभ पहुंचाता है।
: IISR को उम्मीद है कि इस उत्पाद के पीछे की तकनीक को अन्य लाभकारी जैव-एजेंटों को शामिल करने के लिए भी बढ़ाया जा सकता है, जिससे टिकाऊ जैविक खेती का समर्थन करने के लिए उत्पाद विकास में नई संभावनाएं खुलेंगी।