सन्दर्भ:
: आत्मनिर्भरता की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम उठाते हुए, भारतीय सेना ने अपना पहला ओवरहॉल्ड T-90 भीष्म टैंक (T-90 Bhishma Tank) तैयार किया है, जिससे इसकी परिचालन तत्परता और बढ़ गई है।
T-90 भीष्म टैंक के बारे में:
: यह 2003 से भारतीय सेना का मुख्य युद्धक टैंक है।
: यह अपनी मारक क्षमता, गति और सुरक्षा के लिए जाना जाता है।
: इस ओवरहॉल के साथ, टैंक और भी अधिक शक्तिशाली और घातक हो गया है।
: इस टैंक में तीन लोगों का दल होता है – कमांडर, गनर और ड्राइवर – जो लक्ष्यों को निशाना बनाकर नष्ट करने के लिए निकट समन्वय में काम करते हैं।
: विशेषताएँ-
- यह 125 मिमी स्मूथबोर गन से लैस है, जो विभिन्न प्रकार के गोले दागने में सक्षम है।
- इसके ऊपर लगी एक एंटी-एयरक्राफ्ट गन दो किलोमीटर की रेंज में लक्ष्यों को मार गिरा सकती है, और टैंक प्रति मिनट 800 गोले दाग सकता है।
- इसका छोटा आकार इसे जंगलों, पहाड़ों और दलदली इलाकों में 60 किलोमीटर प्रति घंटे की गति से तेज़ी से आगे बढ़ने में सक्षम बनाता है।
: इसमें उन्नत थर्मल साइटिंग सिस्टम है, टैंक दिन या रात में 8 किलोमीटर (5 मील) दूर तक के लक्ष्यों का पता लगा सकता है।