
सन्दर्भ-भारत के सर्वोच्च न्यायालय (Supreme Court) ने यौन कार्य (Sex Work) को एक “पेशे (Profession)” के रूप में मान्यता दी है,जिसके व्यवसायी कानून के तहत सम्मान और समान सुरक्षा के हकदार हैं।
प्रमुख तथ्य-:न्यायमूर्ति एल नागेश्वर राव/Justice L. Nageswara Rao की अगुवाई वाली 3 न्यायाधीशों की पीठ/3-judge bench ने संविधान के अनुच्छेद 142 के तहत विशेष शक्तियों को लागू करने के बाद पारित एक आदेश का निर्देश दिया।
:अदालत ने कहा है कि पुलिस को वयस्क और सहमति देने वाली यौनकर्मियों के खिलाफ न तो हस्तक्षेप करना चाहिए और न ही आपराधिक कार्रवाई करनी चाहिए
:अदालत ने यह भी कहा कि सेक्स वर्कर के बच्चे को मां से इस आधार पर अलग नहीं किया जाना चाहिए कि वह देह व्यापार में है।
:अनुच्छेद 21 घोषित करता है कि कानून द्वारा स्थापित प्रक्रिया के अनुसार,किसी भी व्यक्ति को उसके जीवन या व्यक्तिगत स्वतंत्रता से वंचित नहीं किया जाएगा। यह अधिकार नागरिकों और गैर-नागरिकों दोनों को प्राप्त है।
:राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (NHRC) ने वर्ष 2020 में सेक्स वर्कर को अनौपचारिक श्रमिक के रूप में मान्यता दी।
:यौन उत्पीड़न की शिकार यौनकर्मियों को तत्काल चिकित्सा-कानूनी देखभाल सहित हर प्रकार की सुविधा प्रदान की जानी चाहिये।