सन्दर्भ:
: सरकार ने हाल ही में फार्मा-मेडटेक क्षेत्र में अनुसंधान और नवाचार को बढ़ावा देने की योजना (PRIP योजना) के तहत अनुसंधान और नवाचार परियोजनाओं के लिए आवेदन आमंत्रित किए हैं ताकि इसे वैश्विक स्तर पर प्रतिस्पर्धी और नवाचार-संचालित क्षेत्र बनाया जा सके।
PRIP योजना के बारें में:
: फार्मा एवं मेडटेक क्षेत्र में भारत को अनुसंधान एवं विकास के लिए एक वैश्विक केंद्र बनाने हेतु, रसायन एवं उर्वरक मंत्रालय के औषधि विभाग द्वारा PRIP योजना शुरू की गई थी।
: इस योजना को 2023 में ₹5000 करोड़ के कुल वित्तीय परिव्यय के साथ अधिसूचित किया गया था।
: इस योजना का उद्देश्य- प्राथमिकता वाले क्षेत्रों में अनुसंधान एवं विकास के लिए उद्योग-अकादमिक संपर्क को बढ़ावा देना, गुणवत्तापूर्ण अनुसंधान की संस्कृति को विकसित करना और हमारे वैज्ञानिकों के समूह का पोषण करना है।
: यह दो घटकों पर केंद्रित है:-
- घटक A:
* मौजूदा सात राष्ट्रीय औषधि शिक्षा एवं अनुसंधान संस्थानों (NIPER) में उत्कृष्टता केंद्रों (सीओई) की स्थापना के माध्यम से अनुसंधान अवसंरचना को सुदृढ़ बनाना।
* ये उत्कृष्टता केंद्र 700 करोड़ रुपये के वित्तीय परिव्यय के साथ पूर्व-चिह्नित क्षेत्रों में स्थापित किए जाएँगे। - घटक B:
* छह प्राथमिकता वाले क्षेत्रों में अनुसंधान को प्रोत्साहित करके फार्मास्युटिकल क्षेत्र में अनुसंधान को बढ़ावा देना, इसके अंतर्गत उद्योगों, एमएसएमई, एसएमई, सरकारी संस्थानों के साथ काम करने वाले स्टार्टअप्स और आंतरिक एवं शैक्षणिक अनुसंधान दोनों के लिए वित्तीय सहायता प्रदान की जाएगी।
* इस घटक का वित्तीय परिव्यय 4250 करोड़ रुपये है।
* बड़ी कंपनियाँ ₹125 करोड़ तक का वित्तपोषण प्राप्त कर सकती हैं, जबकि स्टार्टअप अपनी उपलब्धियों के आधार पर पाँच वर्षों की अवधि में ₹1 करोड़ तक का वित्तपोषण प्राप्त कर सकते हैं।
: प्राथमिकता वाले क्षेत्र:–
- नई रासायनिक इकाई, नई जैविक इकाई, और पादप-औषधीय उत्पाद
- जटिल जेनेरिक और बायोसिमिलर
- परिशुद्ध चिकित्सा (लक्षित नवीन चिकित्सा)
- चिकित्सा उपकरण
- अनाथ औषधियाँ
- रोगाणुरोधी प्रतिरोध (एएमआर) के लिए औषधि विकास
: नीति आयोग के सीईओ की अध्यक्षता में एक अधिकार प्राप्त समिति, जिसमें फार्मास्यूटिकल्स, स्वास्थ्य, आईसीएमआर, डीबीटी, सीएसआईआर, आयुष और डीएसटी का सचिव स्तर का प्रतिनिधित्व होगा, इस योजना के कार्यान्वयन के लिए मार्गदर्शन प्रदान करेगी।