Mon. Oct 13th, 2025
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सन्दर्भ:

: भारत के प्रधानमंत्री ने प्रधानमंत्री धन-धान्य कृषि योजना (PMDDKY) का शुभारंभ किया, यह एक ऐतिहासिक कृषि सुधार है जिसका लक्ष्य 100 कम प्रदर्शन वाले जिलों में खेती को बदलना है।

PMDDKY के बारें में:

: PMDDKY कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय द्वारा प्रौद्योगिकी, सिंचाई, ऋण और बाजार सुधारों के माध्यम से भारतीय कृषि को आधुनिक बनाने के लिए शुरू किया गया एक व्यापक कृषि परिवर्तन मिशन है।
: योजना का उद्देश्य:-

  • फसल उत्पादकता में 20-30% की वृद्धि और कटाई के बाद होने वाले नुकसान को 5% से कम करना।
  • प्रत्यक्ष बाजार पहुँच और आधुनिक तकनीकों के माध्यम से 2030 तक किसानों की आय दोगुनी करना।
  • कृषि को जलवायु-अनुकूल, प्रौद्योगिकी-संचालित और टिकाऊ बनाना।
  • महिलाओं, युवाओं और छोटे किसानों को सहायता प्रदान करना और समान कृषि विकास सुनिश्चित करना।

: पात्रता मानदंड:-

  • भौगोलिक फोकस: नीति आयोग द्वारा कम उत्पादकता, कम ऋण उपलब्धता और खराब सिंचाई वाले 100 कम प्रदर्शन करने वाले जिलों की पहचान की गई है।
  • समावेशिता: महिला किसान, युवा कृषि उद्यमी और किसान उत्पादक संगठन (एफपीओ) प्राथमिकता वाले लाभार्थी हैं।

: PMDDKY की मुख्य विशेषताएँ:-

  • विशाल बजट आवंटन: छह वर्षों में ₹1.44 लाख करोड़ (2025-31 तक प्रतिवर्ष ₹24,000 करोड़)।
  • योजना अभिसरण: एकीकृत कार्यान्वयन के लिए 36 योजनाओं को एकल डिजिटल ढाँचे के अंतर्गत विलयित किया गया।
  • स्मार्ट कृषि: कृषि निगरानी के लिए IoT सेंसर, ड्रोन, सटीक उपकरण और AI-आधारित डैशबोर्ड का एकीकरण।
  • डिजिटल डैशबोर्ड: 117 प्रमुख प्रदर्शन संकेतकों (KPI) – उपज, भंडारण और सिंचाई प्रगति – पर नज़र रखता है।
  • बुनियादी ढाँचा विकास: सिंचाई, भंडारण, कोल्ड चेन, प्रसंस्करण इकाइयों और बाज़ार संपर्कों पर ध्यान केंद्रित।
  • महिला सशक्तिकरण: 10,000 महिला उत्पादक समूहों का गठन, जिससे 5 लाख महिला किसानों को लाभ होगा।
  • प्रशिक्षण और वैश्विक प्रदर्शन: कृषि विज्ञान केंद्रों के माध्यम से निःशुल्क कार्यशालाएँ और इज़राइल, जापान और नीदरलैंड में 500 किसानों के लिए अंतर्राष्ट्रीय प्रशिक्षण।
  • हरित कृषि पर ध्यान: जैविक, टिकाऊ और जलवायु-अनुकूल प्रथाओं को प्रोत्साहित करता है।

: जिलों और किसानों को लाभ:-

  • उत्पादकता में सुधार: उच्च उपज वाले बीजों, कुशल सिंचाई और मशीनीकरण के माध्यम से 20-30% की वृद्धि।
  • आय में वृद्धि: विविध फसलों और ई-नाम तथा पीएमडीडीकेवाई ऐप के माध्यम से प्रत्यक्ष बाजार पहुँच के माध्यम से 20-40% की वृद्धि।
  • रोज़गार में वृद्धि: डेयरी और मत्स्य पालन जैसे संबद्ध क्षेत्रों में प्रति गाँव 10-15 ग्रामीण रोज़गारों का सृजन।
  • कटाई के बाद होने वाले नुकसान में कमी: नए गोदामों और शीतगृहों ने बर्बादी में 20% की कमी की।
  • वित्तीय पहुँच: किसान क्रेडिट कार्ड और नाबार्ड के माध्यम से कम ब्याज पर ₹50,000-₹10 लाख तक के ऋण।

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By gkvidya

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