सन्दर्भ:
: भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) ने, नाविक (NavIC) नेविगेशन प्रणाली के भाग के रूप में, NVS-02 उपग्रह को ले जाने वाले अपने जियोसिंक्रोनस सैटेलाइट लॉन्च व्हीकल (GSLV) रॉकेट को प्रक्षेपित किया है।
NVS-02 उपग्रह के बारें में:
: यह देश के नेविगेशन नक्षत्र भारतीय क्षेत्रीय नेविगेशन सैटेलाइट सिस्टम में मौजूदा उपग्रहों को बदलने के लिए अंतरिक्ष एजेंसी द्वारा विकसित 5 दूसरी पीढ़ी के उपग्रहों में से दूसरा है।
: इसे GSLV-F15 द्वारा जियोसिंक्रोनस ट्रांसफर ऑर्बिट में रखा जाएगा।
: NVS-01 को 2023 में GSLV-F12 पर लॉन्च किया गया था और पहली बार, NVS-01 में एक स्वदेशी परमाणु घड़ी उड़ाई गई थी।
: इसकी विशेषताएं-
- इसका वजन 2,250 किलोग्राम है और इसकी पावर क्षमता लगभग 3 किलोवाट है।
- इसमें तीन आवृत्ति बैंड L1, L5 और S बैंड में नेविगेशन पेलोड के साथ-साथ इसके पूर्ववर्ती NVS-01 की तरह C-बैंड में रेंजिंग पेलोड भी है।
- इसमें सटीक समय-निर्धारण के लिए रुबिडियम परमाणु आवृत्ति मानक (RAFS) नामक एक सटीक परमाणु घड़ी भी है।
- इसकी आयु 12 वर्ष है और यह स्वदेशी रूप से विकसित, अधिक सटीक परमाणु घड़ियों से भी सुसज्जित है।
: यह पुराने NavIC उपग्रह, IRNSS-1E की जगह लेगा और कक्षा में 111.75°E पर स्थित होगा।
: इसे U R सैटेलाइट सेंटर (URSC) में डिज़ाइन, विकसित और एकीकृत किया गया है।
: इसका महत्व- नए L1 बैंड सिग्नल को शामिल करके, यह वैश्विक नेविगेशन सिस्टम के साथ NavIC की संगतता में सुधार करता है, जिससे व्यापक रूप से अपनाया जाना और बेहतर सेवा सुनिश्चित होती है।