सन्दर्भ:
: भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) श्रीहरिकोटा से GSLV Mk-II रॉकेट के जरिए NISAR उपग्रह को प्रक्षेपित करने की योजना बना रहा है।
NISAR उपग्रह के बारें में:
: भारत और संयुक्त राज्य अमेरिका अब तक के अपने सबसे महत्वाकांक्षी संयुक्त अंतरिक्ष मिशन, नासा-इसरो सिंथेटिक अपर्चर रडार (NISAR) को लॉन्च करने के लिए तैयार हैं।
: 30 जुलाई को श्रीहरिकोटा से GSLV Mk-II के ज़रिए प्रक्षेपित होने वाला यह 12,000 करोड़ रुपये का मिशन एक दशक से भी ज़्यादा समय से तैयार हो रहा है और इसे दुनिया के सबसे उन्नत पृथ्वी अवलोकन मिशनों में से एक माना जा रहा है।
: NISAR न केवल भारत के लिए बल्कि वैश्विक स्तर पर भी भूमि विरूपण, जैव ईंधन, आपदा प्रभाव, फसल पैटर्न और जलवायु संबंधी परिवर्तनों पर वास्तविक समय, उच्च-रिज़ॉल्यूशन रडार डेटा प्रदान करेगा।
: यह लंबी दूरी की रडार प्रणालियों में नासा की क्षमता को इसरो की अंतरिक्ष उड़ान इंजीनियरिंग और एस-बैंड रडार तकनीक के साथ जोड़ता है।
: निसार की अनूठी विशेषताएं और क्षमताएं:-
- पृथ्वी अवलोकन के लिए पहला दोहरे बैंड (L & S) वाला रडार उपग्रह।
- विस्तृत स्वाथ (चौड़ाई 240 किमी है) और उच्च रेजोलुशन (3-10 मीटर)।
: वैज्ञानिक और सामाजिक अनुप्रयोग:-
- ठोस पृथ्वी प्रक्रियाएँ: भूकंप, भूस्खलन और भूमि विरूपण पर नज़र रखना।
- पारिस्थितिकी तंत्र: वनों, काष्ठीय जैवभार और जैव विविधता की निगरानी।
- बर्फ और हिम गतिकी: हिमनदों की गति और ध्रुवीय बर्फ की मोटाई मापना।
- तटीय और महासागरीय निगरानी: तटरेखा के कटाव, तेल रिसाव और तूफ़ानी लहरों पर नज़र रखना।
- आपदा प्रतिक्रिया: बाढ़, भूकंप या चक्रवात के बाद लगभग वास्तविक समय में क्षति के मानचित्र प्रदान करना।
- कृषि और बुनियादी ढाँचा: खाद्य सुरक्षा का समर्थन करना और बाँधों, सड़कों और जलाशयों के पास भू-धंसाव की निगरानी करना।