सन्दर्भ-रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (DRDO) ने 01 जनवरी, 2022 को 64वां DRDO दिवस मनाया,इस अवसर पर अध्यक्ष डॉ जी सतीश रेड्डी ने सम्बोधित करते हुए कहा कि 3 लाख करोड़ रुपये से अधिक मूल्य के विकसित प्रणालियों का उत्पादन किया।
प्रमुख तथ्य-:डीआरडीओ कई अत्याधुनिक सैन्य प्रौद्योगिकी क्षेत्रों पर कार्य कर रहा है जिसमे मुख्य है-वैमानिकी,आयुध,लड़ाकू वाहन,इलेक्ट्रॉनिक्स,मिसाइल,नौसेना प्रणाली,उन्नत कंप्यूटिंग,सिमुलेशन,साइबर,हाइपरसोनिक,संचार एवं क्वांटम कंप्यूटिंग,एआई।
:इसमें प्रमुखतः शामिल सैन्य प्रणाली है-आकाश सतह से हवा में मारने वाली मिसाइल,और प्रलय सतह से सतह में मारने वाली मिसाइल,स्वदेशी ब्रह्मोस,VLSR SAM,SANT मिसाइल,
:2021 के दौरान 175 प्रौद्योगिकी हस्तांतरण(TOT) लाइसेंस पर हस्ताक्षर किये गए।
:डीआरडीओ,परियोजनाओं में विकास सह उत्पादन भागीदार (डीसीपीपी) और उत्पादन एजेंसियों (पीए) के रूप में उद्योग की भागीदारी सुनिश्चित कर रहा है।
:उद्योगों के लिए DRDO परीक्षण सुविधाएं खोली गई हैं,और GOCO (सरकारी स्वामित्व वाली और कंपनी संचालित) के लिए दिशानिर्देश जारी किए गए हैं।
:कोविड की दूसरी लहर के दौरान डीआरडीओ प्रौद्योगिकियों के सामाजिक योगदान भी काफी रहे,देश भर में 869 स्थलों पर नौ सौ इकतीस चिकित्सा ऑक्सीजन संयंत्र स्थापित किए गए, तथा 7,400 से अधिक बिस्तरों वाले 13 कोविड अस्पताल स्थापित किए गए।
:2-डीऑक्सी-डी-ग्लूकोन (2DG) के चिकित्सीय अनुप्रयोग के रूप में एंटी-कोविड दवा,महामारी के दौरान एक महत्वपूर्ण सफलता रही है।
:इन सभी को डीआरडीओ के साथ केंद्र सरकार के विभिन्न विभागों और राज्य सरकार की भागीदारी के साथ देश भर में स्थापित किया गया था।
:ऐसी उपलब्धियों के लिए वैज्ञानिकों को प्रधान मंत्री श्री नरेंद्र मोदी द्वारा निर्धारित ‘मेक इन इंडिया और “मेक फॉर द वर्ल्ड” के लक्ष्यों को साकार करने के लिए अत्याधुनिक प्रणालियों और प्रौद्योगिकियों के विकास में तेजी लाने की जरूरत है।
:विशिष्ट जटिल रक्षा प्रौद्योगिकी में युवा छात्रों में अनुसंधान योग्यता को बढ़ावा देकर युवा प्रतिभा पूल को संरेखित करने की दिशा में रक्षा अनुसंधान एवं विकास के साथ युवाओं को एकीकृत करने के लिए डीआरडीओ द्वारा किए जा रहे प्रयासों पर भी प्रकाश डाला गया।