सन्दर्भ:
: ISRO के उपग्रहों ने CROP तकनीक के तहत रबी सीजन 2024-25 के लिए आठ प्रमुख गेहूं उत्पादक राज्यों में भारत का गेहूं उत्पादन 122.724 मिलियन टन होने का अनुमान लगाया है।
CROP तकनीक के बारें में:
: CROP- Comprehensive Remote Sensing Observation on Crop Progress.
: फसल की बुवाई, वृद्धि और कटाई के चरणों की लगभग वास्तविक समय में निगरानी करने के लिए एक अर्ध-स्वचालित, स्केलेबल रिमोट सेंसिंग ढांचा विकसित किया गया है।
: यह राष्ट्रीय सुदूर संवेदन केंद्र (NRSC), भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) द्वारा विकसित।
: इसका उद्देश्य:-
- उपग्रह डेटा का उपयोग करके कृषि फसलों की व्यवस्थित, समय पर और मापनीय निगरानी को सक्षम करना।
- प्रारंभिक कृषि योजना और खाद्य सुरक्षा रणनीतियों का समर्थन करने के लिए सटीक फसल स्थिति आकलन प्रदान करना।
: प्रमुख विशेषताएं:-
- उपग्रह स्रोत: EOS-04 (RISAT-1A), EOS-06 (ओशनसैट-3) और रिसोर्ससैट-2A जैसे उपग्रहों से ऑप्टिकल और सिंथेटिक एपर्चर रडार (SAR) डेटा का उपयोग करता है।
- स्थानिक मानचित्रण: प्रमुख गेहूं उत्पादक राज्यों में 8 लाख हेक्टेयर में गेहूं के वितरण की निगरानी करता है।
- फसल सिमुलेशन मॉडल: 5×5 किमी स्थानिक रिज़ॉल्यूशन का उपयोग करके बुवाई की तारीखों, फसल क्षेत्र और मौसम की स्थिति को एकीकृत करता है।
- मल्टी-सोर्स डेटा फ़्यूज़न: ऑप्टिकल और रडार अवलोकनों को मिलाकर अनुमान सटीकता को बढ़ाता है।
: इसका महत्व:-
- कृषि-नीति निर्माण को बढ़ावा देता है: वास्तविक समय कृषि निगरानी में कृषि मंत्रालय का समर्थन करता है।
- खाद्य सुरक्षा में सुधार करता है: प्रारंभिक उपज अनुमान खाद्य भंडार और खरीद योजना का प्रबंधन करने में मदद करता है।
- आपदा प्रबंधन: सूखे, बाढ़ और कीट प्रभाव आकलन में सहायता करता है।
- प्रौद्योगिकी उपयोग को आगे बढ़ाता है: खेत प्रबंधन में अंतरिक्ष-आधारित सटीक कृषि और रिमोट सेंसिंग एकीकरण को बढ़ावा देता है।