सन्दर्भ:
: भारत के नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (CAG) ने 18 राज्यों में शहरी स्थानीय निकायों (ULBs) के कामकाज में गंभीर खामियों को CAG रिपोर्ट 2024 के तहत उजागर किया है।
शहरी स्थानीय निकायों पर CAG रिपोर्ट 2024 के बारें में:
: इन स्वशासी संस्थाओं को सशक्त बनाने के लिए 74वें संविधान संशोधन को लागू किए जाने के 31 वर्ष बाद यह बात सामने आई है।
: ज्ञात हो कि शहरी स्थानीय सरकार से तात्पर्य लोगों द्वारा अपने निर्वाचित प्रतिनिधियों के माध्यम से शहरी क्षेत्र के शासन से है।
: 74वें संविधान संशोधन अधिनियम, 1992 ने स्थानीय शहरी निकायों को संवैधानिक दर्जा प्रदान किया।
: संसाधन-व्यय अंतर- शहरी स्थानीय निकायों को अपने संसाधनों और व्यय के बीच 42% अंतर का सामना करना पड़ता है।
: वित्त पोषण स्रोत- केवल 32% राजस्व स्वयं के संसाधनों से आता है, 68% संघ और राज्य सरकार के हस्तांतरण पर निर्भर है।
: संपत्ति कर संग्रह- शहरी स्थानीय निकाय संपत्ति कर की केवल 56% मांग ही वसूल पाते हैं।
: व्यय आवंटन- ULB व्यय का केवल 29% कार्यक्रम और विकासात्मक कार्यों पर खर्च किया जाता है।
: स्वायत्तता हस्तांतरित कार्यों में से केवल 4 को पूर्ण स्वायत्तता प्राप्त है।
: जनसंख्या प्रभाव- रिपोर्ट में 18 राज्यों के 241 मिलियन लोगों की जरूरतों को पूरा करने वाले 393 शहरी स्थानीय निकायों को शामिल किया गया है।
: स्टाफिंग-
- औसत रिक्ति दर: स्वीकृत संख्या का 37%।
- 16 राज्यों में शहरी निकायों को भर्ती के मामले में सीमित या कोई स्वायत्तता नहीं है।
: कार्यों का हस्तांतरण-
- औसतन, 18 में से 17 कार्य (74वें संशोधन के अनुसार) हस्तांतरित किए गए हैं।
- नौ राज्यों (जैसे, छत्तीसगढ़, महाराष्ट्र) ने सभी 18 कार्यों को हस्तांतरित किया है।
- शहरी नियोजन और अग्निशमन सेवाएँ सबसे कम हस्तांतरित कार्य बने हुए हैं।