
सन्दर्भ-प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी के दूरदर्शी नेतृत्व में भारत सरकार ने एक महत्वपूर्ण कदम के तहत दशकों बाद नागालैंड, असम और मणिपुर में सशस्त्र बल विशेष अधिकार अधिनियम (AFSPA) के तहत अशांत क्षेत्रों को कम करने का निर्णय किया है।
क्या कारण रहा-पिछले तीन वर्षों के दौरान भारत सरकार ने पूर्वोत्तर में उग्रवाद समाप्त करने और स्थायी शांति लाने हेतु कई समझौतों पर हस्ताक्षर किए हैं,जिसके परिणाम स्वरुप पूर्वोत्तर में सुरक्षा स्थिति में सुधार और तेजी से विकास हुआ है।
प्रमुख तथ्य-:वर्ष 2014 की तुलना में,वर्ष 2021 में उग्रवादी घटनाओं में 74% की कमी आई है।
:इसी अवधि के दौरान सुरक्षाकर्मियों और नागरिकों के हताहत होने में क्रमशः 60% और 84% की कमी आई है।
:उत्तर-पूर्व क्षेत्र को उग्रवाद मुक्त करने के लिए केंद्र सरकार समय-समय पर राज्य सरकारों और अन्य हितधारकों के साथ बातचीत करती रही है।
:सुधार के कारण AFSPA के अंतर्गत अशांत क्षेत्र अधिसूचना को त्रिपुरा से 2015 में और मेघालय से 2018 में पूरी तरह से हटा लिया गया है।
:असम में वर्ष 1990 से अशांत क्षेत्र अधिसूचना लागू है,परन्तु अब 1 अप्रैल 2022 से 23 जिलों कोपूर्ण रूप से और 1 जिले को आंशिक रूप से AFSPA के प्रभाव से हटाया जाएगा है।
:संपूर्ण मणिपुर (इंफाल नगर पालिका को छोड़कर) को 2004 में अशांत क्षेत्र घोषित किया गया परन्तु अब अब 1 अप्रैल 2022 से 6 जिलों के 15 पुलिस स्टेशन क्षेत्र को अशांत क्षेत्र अधिसूचना से बाहर किया जाएगा।
:अरूणाचल प्रदेश में 2015 में काजू किया गया परन्तु अब सिर्फ 3 जिलों में और 1 अन्ये जिले के 2 पुलिस स्टेशन क्षेत्र में लागू है।
:सम्पूर्ण नागालैण्ड में वर्ष 1995 से लागू है परन्तु अब 1 अप्रैल 2022 से 7 जिलों के 15 पुलिस स्टेशनों से इसे हटाया जा रहा है।
कुछ प्रमुख समझौते-
1-अगस्त 2019 में त्रिपुरा में उग्रवादियों को समाज की मुख्य धारा में लाने के लिए NLFT(SD) समझौता।
2-जनवरी, 2020 का बोडो समझौता जिसने असम की 5 दशक पुरानी बोडो समस्या का समाधान किया गया है।
3-16 जनवरी, 2020 को 23 साल पुराने ब्रु-रिआंग शरणार्थी संकट को सुलझाने के लिए एक ऐतिहासिक समझौता किया गया।
4-04 सितंबर, 2021 का करबी-आंगलांग समझौता जिसने लंबे समय से चल रहे असम के करबी क्षेत्र के विवाद को हल कियाहै।
5-29 मार्च, 2022 को असम और मेघालय राज्या की सीमा के संदर्भ में एक और महत्वपूर्ण समझौता किया गया है।