सन्दर्भ:
: भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) तथा इन-स्पेस के सहयोग से और स्काईरूट एयरोस्पेस द्वारा विकसित भारत के पहले निजी रॉकेट, विक्रम-एस (सबऑर्बिटल) के सफल प्रक्षेपण किया।
विक्रम-एस के बारें में:
: इसका आज 18 नवंबर 2022 को श्रीहरिकोटा से किया गया।
: यह भारत के निजी अंतरिक्ष उद्योग की यात्रा में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर है।
: यह जून 2020 के ऐतिहासिक अंतरिक्ष क्षेत्र के सुधारों का प्रतिक है।
: यह उपलब्धि भारत के युवाओं की अपार प्रतिभा का प्रमाण देती है।
: इससे अंतरिक्ष में सैटेलाइट भेजना होगा आसान।
: यह सिंगल स्टेज का सब-ऑर्बिटल लॉन्च व्हीकल है।
: विक्रम-एस का नामकरण इसरो के संस्थापक डॉ. विक्रम साराभाई की याद में किया गया है।
: विक्रम- एस रॉकेट, एक-चरणीय सब-ऑर्बिटल प्रक्षेपण यान है जो तीन पेलोड को ले जाएगा।
: यह यान कक्षीय वेग से धीमी गति से चलते हैं जिनमे बाहरी अंतरिक्ष तक पहुंचने के लिये पर्याप्त गति होती है परन्तु पृथ्वी के चारों ओर कक्षा में रहने के लिये पर्याप्त गति नहीं होती है।
: विक्रम सिरीज में तीन प्रकार के रॉकेट लॉन्च किए जाएंगे , जिन्हें छोटे आकार के सैटेलाइट्स ले जाने के मुताबिक विकसित किया गया है।
: विक्रम-I को 480 किलोग्राम पेलोड के साथ, जबकि विक्रम- II को 595 किलोग्राम, एवं विक्रम-III में 815 किलोग्राम के साथ लॉन्च किया जा सकता है।
: इन तीनों में से एक विदेशी कंपनी का जबकि बाकी दो भारतीय कंपनियों के उपग्रह हैं।
: इस लॉन्चिंग में आम ईंधन के बजाय LNG यानी लिक्विड नेचुरल गैस और लिक्विड ऑक्सीजन (LoX) का उपयोग किया जा रहा है, जो किफायती और प्रदूषण मुक्त है।
: इसके सफल प्रक्षेपण के साथ ही भारत प्राइवेट स्पेस कंपनी के रॉकेट लॉन्चिंग के मामले में दुनिया के अग्रणी देशों में शामिल हो गया है।