सन्दर्भ:
:बंदरगाह, नौवहन और जलमार्ग मंत्रालय ने Indian Ports Act (बंदरगाह अधिनियम), 1908 में संशोधन के लिए एक मसौदा जारी किया है।
इसका उद्देश्य है:
:गैर-प्रमुख बंदरगाहों को राष्ट्रीय स्तर पर लाकर क्षेत्र में व्यापक सुधार करना, विवादों के समाधान के लिए एक नया तंत्र बनाना और समुद्री राज्य विकास परिषद (MSDC) को सशक्त बनाना।
Indian Ports Act प्रमुख तथ्य:
:मसौदा विधेयक संसद में पेश किए जाने से पहले हितधारकों की टिप्पणियों को देखेगा।
:1908 का Indian Ports Act (भारतीय बंदरगाह अधिनियम), 114 वर्ष पुराना है।
:यह अनिवार्य हो गया है कि वर्तमान समय को प्रतिबिंबित करने हेतु अधिनियम को संशोधित किया जाए।
:इसके ढांचे, भारत के अंतरराष्ट्रीय दायित्वों को शामिल करना, उभरती पर्यावरणीय चिंताओं को दूर करना और राष्ट्रीय हित में बंदरगाह क्षेत्र के परामर्शी विकास में सहायता करना।
:विधेयक एक परिषद के निर्माण के माध्यम से गैर-प्रमुख बंदरगाहों के लिए निर्णय लेने में देरी को खत्म करने का प्रयास करता है, जिसकी अध्यक्षता बंदरगाहों, शिपिंग और जलमार्ग के केंद्रीय मंत्री करेंगे।
:MSDC सहकारी संघवाद सुनिश्चित करेगा जहाँ केंद्र और राज्य / केंद्र शासित प्रदेश (केंद्र शासित प्रदेश) की सरकारें देश के लिए एक प्रगतिशील रोड मैप तैयार करने की दिशा में मिलकर काम करेंगी।
:इस बिल के तीन पुराने संस्करणों को प्रमुख बंदरगाहों, राज्य सरकारों और राज्य समुद्री बोर्डों के साथ साझा किया गया था,और उनकी प्रतिक्रिया को इस मसौदे में शामिल किया गया है, जो संभवतः इस मुद्दे पर केंद्र का अंतिम रुख है।