
सन्दर्भ-महाराष्ट्र कारागार विभाग ने 3 साल से अधिक समय से राज्य भर की जेलों में सजा काट रहे कैदियों के लिए भारत की अपनी तरह की पहली ऋण योजना “जिव्हाळा” (Jivhala) शुरू की है।
प्रमुख तथ्य-यह महाराष्ट्र राज्य सहकारी बैंक द्वारा दिया जा रहा है।
:इसका शुरुआत महाराष्ट्र के गृह मंत्री दिलीप वालसे पाटिल द्वारा पुणे (महाराष्ट्र) में यरवदा केंद्रीय कारागार में शुरू किया गया था,जिसे धीरे-धीरे पुरे राज्य मे लगभग 60 जेलों तक इसका विस्तार किया जाएगा।
:जिवला का मराठी में मतलब स्नेह होता है।
इस योजना के शुरू होने के पीछे का कारण:
:अधिकांश कैदी एकमात्र कमाने वाले हैं,और उनकी कैद ने उनके परिवारों को आय के स्रोत के बिना छोड़ दिया है।
:इसलिए,यह ऋण कैदी के नाम पर वितरित किया जाएगा, और शिक्षा, चिकित्सा उपचार, कानूनी शुल्क, या किसी अन्य खर्च के लिए नामित परिवार के सदस्यों को जारी किया जाएगा।
:शुरुआती चरण में 7% ब्याज दर पर 50,000 रुपये का ऋण दिया जाएगा,बैंक द्वारा अर्जित ब्याज में से 1% को कैदी कल्याण कोष में योगदान के रूप में सिस्टम को वापस कर दिया जाएगा।
:शुरुआती चरण में 7% ब्याज दर पर 50,000 रुपये का ऋण दिया जाएगा,बैंक द्वारा अर्जित ब्याज में से 1% को कैदी कल्याण कोष में योगदान के रूप में सिस्टम को वापस कर दिया जाएगा।
:ऋण बिना किसी बंधक या गारंटर के प्रदान किया जाएगा।
:ऋण राशि कैदियों के जेल खातों से समान मासिक किस्त (ईएमआई) के रूप में काट ली जाएगी।
:यह ध्यान दिया जाना चाहिए कि,जेल में,एक कैदी को कुशल, अर्ध-कुशल या अकुशल के रूप में वर्गीकृत किया जाता है और जेल के अंदर औद्योगिक और निर्माण इकाइयों में काम सौंपा जाता है,और उन्हें दैनिक मजदूरी का भुगतान किया जाता है।