
सन्दर्भ-बंदरगाह,नौवहन और जलमार्ग मंत्रालय ने कोचीन शिपयार्ड लिमिटेड (CSL) में भारत के पहले स्वदेशी (Hydrogen Fuelled Electric Vessels) हाइड्रोजन ईंधन वाले इलेक्ट्रिक वेसल को विकसित करने और बनाने का निर्णय लिया है।
प्रमुख तथ्य-इससे ग्रीन शिपिंग की दिशा में देश के प्रयास शुरू हो गए हैं।
:हाइड्रोजन ईंधन से चलने वाले इलेक्ट्रिक वेसल बनाने की योजना ग्लोबल मैरीटाइम ग्रीन ट्रांजिशन के साथ तालमेल बिठा रही है।
:यह कदम हरित ऊर्जा,स्थायी लागत प्रभावी वैकल्पिक ईंधन के मोर्चे पर नवीन और नई प्रौद्योगिकी के मोर्चे पर भारत के परिवर्तनकारी प्रयासों का हिस्सा है।
:कम तापमान वाले प्रोटॉन एक्सचेंज मेम्ब्रेन टेक्नोलॉजी (LT-PEM) पर आधारित हाइड्रोजन फ्यूल सेल वेसल को फ्यूल सेल इलेक्ट्रिक वेसल (FCEV) कहा जाता है।
:हाइड्रोजन ईंधन कोशिकाओं का उपयोग परिवहन,सामग्री हैंडलिंग,स्थिर,पोर्टेबल और आपातकालीन बैकअप पावर अनुप्रयोगों सहित अनुप्रयोगों की एक विस्तृत श्रृंखला में किया जा सकता है।
:हाइड्रोजन ईंधन पर चलने वाले ईंधन सेल एक कुशल, पर्यावरण के अनुकूल, शून्य उत्सर्जन, प्रत्यक्ष वर्तमान (DC) शक्ति स्रोत हैं जो पहले से ही भारी शुल्क बस, ट्रक और ट्रेन अनुप्रयोगों पर लागू होते हैं, और अब समुद्री अनुप्रयोगों के लिए विकास के अधीन हैं।
:2070 तक कार्बन न्यूट्रल बनने के प्रधान मंत्री के लक्ष्य को प्राप्त करने में देश के प्रयासों को बढ़ाने की उम्मीद है,और अंतर्राष्ट्रीय समुद्री संगठन (IMO–International Maritime Organization) द्वारा निर्धारित मानकों के अनुपालन में भी, जो 2030 तक अंतरराष्ट्रीय शिपिंग की कार्बन तीव्रता में कम से कम 40% और 2050 तक उत्तरोत्तर 70% तक कम करने की परिकल्पना करता है।
:भारत एक स्थायी और स्वच्छ पर्यावरण के लिए प्रतिबद्ध था और इसलिए,अंतर्राष्ट्रीय सौर गठबंधन में एक प्रमुख खिलाड़ी के रूप में “वन सन – वन वर्ल्ड – वन ग्रिड” पहल का आह्वान किया।