सन्दर्भ-भारत सरकार द्वारा आपदा प्रबंधन के क्षेत्र में देश में व्यक्तिगत स्तर पर तथा संगठनों के अमूल्य योगदान और निस्वार्थ सेवा को पहचान देने और उन्हें सम्मानित करने के लिए, सुभाष चंद्र बोस आपदा प्रबंधन पुरस्कार के नाम से वार्षिक पुरस्कार स्थापित किया गया है।
प्रमुख तथ्य-:इस वार्षिक पुरस्कार को हर वर्ष 23 जनवरी को नेताजी सुभास चंद्र बोस की जयंती पर दिया जाता है।
:पुरस्कार स्वरुप व्यक्तिगत स्तर पर 5 लाख रुपये नकद और एक प्रमाण पत्र तथा संस्थान को 51 लाख नकद और एक प्रमाण पत्र प्रदान किया जाता है।
:वर्ष 2022 पुरस्कार के लिए 1 जुलाई 2021 को नामांकन आमंत्रित किए गए थे जिसके लिए व्यापक प्रचार प्रिंट,इलेक्ट्रॉनिक और सोशल मीडिया के द्वारा किया गया।
:व्यक्तिगत और संस्थाओं के कुल 243 वैध नामांकन प्राप्त हुए।
:इस वर्ष के लिए व्यक्तिगत श्रेणी में प्रोफेसर विनोद शर्मा को तथा संस्थागत श्रेणी में गुजरात आपदा प्रबंधन संस्थान को दिया गया।
:नेताजी की 125वीं जयंती के उपलक्ष्य में आयोजित होने वाले अलंकरण समारोह में प्रधानमंत्री द्वारा 2019,2020 और 2021 के साथ इन्हे भी सम्मानित किया जाएगा।
प्रोफेसर विनोद शर्मा-:भारतीय लोक प्रशासन संस्थान (IIPA)के वरिष्ठ प्रोफेसर और सिक्किम राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण के उपाध्यक्ष हैं।
:ये राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन केंद्र के संस्थापक संयोजक हैं,जिसे अब राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन संस्थान के रूप में जाना जाता है।
:इनके द्वारा आपदा जोखिम को कम-से-कम करने (डीआरआर) से सम्बंधित विषय को राष्ट्रीय एजेंडा के प्रमुख कार्य के रूप में शामिल करने की दिशा में अथक प्रयास किया गया हैं।
:भारत में डीआरआर में उनके उल्लेखनीय कार्य ने उन्हें अंतर्राष्ट्रीय पहचान दिलाई और वे लाल बहादुर शास्त्री राष्ट्रीय प्रशासन अकादमी(LBSNAA) और अन्य सभी प्रशासनिक प्रशिक्षण संस्थानों के लिए महत्वपूर्ण व्यक्ति बन गए।
:सिक्किम राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण के उपाध्यक्ष के रूप में उन्होंने जलवायु परिवर्तन और डीआरआर को जोड़ने के लिए पंचायत स्तर की तैयारी योजनाओं की शुरुआत करते हुए सिक्किम को डीआरआर लागु करने में एक आदर्श राज्य बनाया है।
:गुजरात आपदा प्रबंधन संस्थान(GIDM)-:2012 में स्थापित यह संस्थान गुजरात के आपदा जोखिम को कम-से-कम करने संबंधी (डीआरआर) क्षमता को बढ़ाने के लिए काम कर रहा है।
:रणनीतिक रूप से डिज़ाइन किए गए क्षमता निर्माण कार्यक्रमों की एक श्रृंखला के माध्यम से, जीआईडीएम ने महामारी के दौरान बहु-संकट जोखिम प्रबंधन और इसे कम करने से संबंधित विभिन्न विषयों पर 12,000 से अधिक पेशेवरों को प्रशिक्षित किया है।
:हाल के कुछ प्रमुख पहलों में शामिल हैं – उपयोगकर्ता-अनुकूल गुजरात अग्नि सुरक्षा अनुपालन पोर्टल का विकास और एकीकृत रोग निगरानी परियोजना के पूरक के रूप में कोविड-19 निगरानी प्रयासों के तहत प्रौद्योगिकी आधारित उन्नत कोविड -19 सिंड्रोम निगरानी (एसीएसवाईएस) प्रणाली का विकास आदि।