सन्दर्भ-चौथा एशिया मंत्रिस्तरीय सम्मेलन पर पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्री भूपेंद्र यादव ने कहा की प्राकृतिक संसाधनों पर निर्भर समुदाय बाघ संरक्षण का एक महत्वपूर्ण पहलू है और “जन एजेंडा” भारत के ” बाघ एजेंडा” में प्रमुखता से शुमार है।
प्रमुख तथ्य-:यह सम्मलेन वैश्विक बाघ पुनर्प्राप्ति कार्यक्रम और बाघ संरक्षण के प्रति प्रतिबद्धताओं की प्रगति की समीक्षा लेकर महत्वपूर्ण था।
:इस चौथे एशिया मंत्रिस्तरीय सम्मेलन का आयोजन मलेशिया सरकार और ग्लोबल टाइगर फोरम (जीटीएफ) द्वारा किया गया।
:भारत भी इस वर्ष के अंत में रूस के व्लादिवोस्तोक में होने वाले ग्लोबल टाइगर समिट (वैश्विक बाघ सम्मेलन) के लिए नई दिल्ली घोषणा पत्र को अंतिम रूप देने में टाइगर रेंज देशों को सुविधा प्रदान करेगा।
:भारत के नई दिल्ली में भी 2010 में एक “प्री टाइगर समिट” बैठक आयोजित की गई थी, जिसमें ग्लोबल टाइगर समिट के लिए बाघ संरक्षण पर मसौदा घोषणा को अंतिम रूप दिया गया था।
:भारत ने लक्षित वर्ष 2022 से 4 साल पहले 2018 में ही बाघों की आबादी को दोगुना करने की उल्लेखनीय उपलब्धि हासिल कर ली है।
:और ऐसे ही अब शेर, डॉल्फिन, तेंदुए, हिम तेंदुए और अन्य छोटी जंगली बिल्लियों जैसे अन्य वन्यजीवों के लिए भी दोहराया जा रहा है।
:भारत सरकार ने बजटीय आवंटन 2014 के 185 करोड़ रुपये से बढ़कर 2022 में 300 करोड़ रुपये कर दिया है।
:भारत के 14 टाइगर रिज़र्व को पहले ही अंतर्राष्ट्रीय सीए/टीएस मान्यता मिल चूका है और अधिक से अधिक के प्रयास जारी है।
:इन टाइगर रिज़र्व में श्रम रोजगार की उपलब्धता सुनिश्चित की जा रही है जिसके अंतर्गत 51 टाइगर रिज़र्व द्वारा 4.3 मिलियन मानव दिवस रोजगार सृजित किए जा रहे है।
:परन्तु सबसे बड़ी चुनौती बाघ के शरीर के अंगों और उत्पादों की अंतरराष्ट्रीय मांग के कारण संगठित शिकार में वृद्धि,के साथ उनके आवास के नुकसान से बाघों के संरक्षण के लिए प्रमुख चुनौतियों के रूप में है। दुनिया भर में जंगली बाघों की स्थिति खतरे में बनी हुई है।