सन्दर्भ:
: भारत के प्रधानमंत्री के भूटान यात्रा के परिणाम स्वरुप प्रमुख जलविद्युत परियोजनाओं के शुभारंभ, स्वास्थ्य और नवीकरणीय ऊर्जा में नए समझौता ज्ञापनों और 4,000 करोड़ रुपये की ऋण सहायता के माध्यम से भारत-भूटान संबंधों को मजबूत किया, जिससे भारत की “पड़ोसी पहले” नीति को बल मिला।
प्रधानमंत्री के भूटान यात्रा के परिणाम के बारे में:
- मुख्य परिणाम:-
- उद्घाटन: 1020 मेगावाट की पुनात्सांगछू-II जलविद्युत परियोजना, जो भारत-भूटान जलविद्युत सहयोग का एक प्रमुख प्रतीक है।
- पुनात्सांगछू-I परियोजना का पुनः आरंभ: 1200 मेगावाट के बांध पर काम फिर से शुरू करने और क्षेत्रीय ऊर्जा एकीकरण को बढ़ावा देने पर सहमति।
- सांस्कृतिक कूटनीति: आध्यात्मिक और सांस्कृतिक संबंधों को मज़बूत करने के लिए वाराणसी में एक भूटानी मठ और अतिथि गृह के लिए भूमि आवंटन।
- संपर्क और व्यापार: हतिसार-गेलेफू में एक आव्रजन जाँच चौकी स्थापित करने का निर्णय, जिससे लोगों के बीच आपसी संपर्क और व्यापारिक संबंधों में सुधार होगा।
- वित्तीय सहयोग: भूटान की विकास प्राथमिकताओं को समर्थन देने के लिए ₹4,000 करोड़ की नई ऋण सहायता की घोषणा।
- हस्ताक्षरित समझौता ज्ञापन:-
- नवीकरणीय ऊर्जा सहयोग: एमएनआरई (भारत) और भूटान के ऊर्जा मंत्रालय के बीच सौर, पवन, बायोमास, ऊर्जा भंडारण और हरित हाइड्रोजन पर संयुक्त कार्य।
- स्वास्थ्य एवं चिकित्सा: पारंपरिक चिकित्सा, रोग निवारण, डिजिटल स्वास्थ्य और क्षमता निर्माण में सहयोग को संस्थागत बनाना।
- मानसिक स्वास्थ्य साझेदारी: स्थानीय मानसिक स्वास्थ्य प्रशिक्षण और अनुसंधान कार्यक्रम विकसित करने के लिए पीईएमए सचिवालय, भूटान और निम्हांस, भारत के बीच समझौता ज्ञापन।
