सन्दर्भ:
: हर साल, मणिपुर का मत्स्य पालन विभाग, निंगोल चाकोबा उत्सव से एक दिन पहले वार्षिक मछली मेला सह मछली फसल प्रतियोगिता का आयोजन करता है।
निंगोल चाकोबा उत्सव के बारें में:
: यह त्यौहार हर साल मेइतेई कैलेंडर के हियांगेई महीने के दूसरे दिन मनाया जाता है।
: निंगोल का अर्थ है ‘विवाहित महिला’ और चाकोबा का अर्थ है ‘भोज का निमंत्रण’; इसलिए यह त्यौहार विवाहित महिलाओं को उनके माता-पिता के घर भोज के लिए आमंत्रित करने का त्यौहार है।
: निंगोल चाकोबा का इतिहास:-
- यह उस समय से शुरू होता है जब राजा नोंगडा लैरेन पखांगबा मणिपुर में शासन करते थे।
- रानी लाइसाना साल में एक बार अपने भाई पोइरेइटन को राजा के महल में भोज के लिए आमंत्रित करती थीं। इसलिए, इसे निंगोल चाकोबा के बजाय पिबा (भाई/पुत्र) चाकोबा के नाम से जाना जाता था।
- 19वीं शताब्दी में राजा चंद्रकीर्ति सिंह (1831-1886) के समय में यह परंपरा बदल गई। उन्होंने अपनी बहनों को भोज के लिए आमंत्रित किया क्योंकि उनके लिए एक ही दिन में उनके घर जाना मुश्किल था।
- इस प्रकार, तब से यह परंपरा निंगोल चाकोबा में बदल गई और मणिपुर की समृद्ध संस्कृति और विरासत का एक अभिन्न अंग बन गई।
: इस त्यौहार का मुख्य आकर्षण विवाहित बहनों का अपने मायके जाकर भव्य भोज और हर्षोल्लास के साथ पुनर्मिलन करना और फिर उपहार देना है।
: परिवार के बेटे के लिए यह प्रथा है कि वह अपनी बहन को निंगोल चक्कौबा के लिए एक सप्ताह पहले औपचारिक निमंत्रण दे।
: यह त्यौहार आजकल मणिपुर के बाहर मनाया जाता है जहाँ मणिपुरी लोग रहते हैं।
: इसका उद्देश्य– परिवार के भाई-बहनों, बेटियों और माता-पिता के बीच स्नेह के बंधन को मज़बूत करना है।
