सन्दर्भ:
: पंजाब का खाद्य प्रसंस्करण विभाग प्रतिष्ठित अमृतसरी कुल्चा (Amritsari Kulcha) के लिए भौगोलिक संकेत (GI) टैग की मांग कर रहा है।
अमृतसरी कुलचा के बारे में:
: यह मैदे से बनी एक भरी हुई, परतदार तंदूरी रोटी है, जिसे दही और खमीर के साथ किण्वित करके मिट्टी के तंदूर में पकाया जाता है।
: इसे छोले, इमली की चटनी, अचार वाले प्याज़ के साथ परोसा जाता है और ऊपर से मक्खन या घी डालकर परोसा जाता है, जो एक विशिष्ट पंजाबी नाश्ता व्यंजन है।
: इसकी उत्पत्ति- इसका इतिहास 200 साल पहले अमृतसर में शुरू हुआ था, इसे भरवां नान का एक रूपांतर माना जाता है।
: खमीर रोटी के किण्वन और संभवतः औपनिवेशिक काल की परतदार बनाने की तकनीक के प्रभाव ने इसे एक विशिष्ट परतदार स्वाद दिया।
: इसकी विशेषताएँ:-
- कम तापमान पर तंदूर में पकाने से घी धीरे-धीरे पिघलता है और विशिष्ट कुरकुरापन आता है।
- स्थानीय सामग्री, पानी की गुणवत्ता और बहु-परत रोलिंग तकनीक इसकी अनूठी बनावट और स्वाद को और बढ़ा देती है।
: राज्य की भागीदारी:-
- पंजाब अपने खाद्य प्रसंस्करण विभाग के माध्यम से GI टैग प्रस्ताव का नेतृत्व कर रहा है।
- अमृतसर, जिसे “भारत की कुलचा राजधानी” कहा जाता है, इसका मुख्य केंद्र है, जहाँ केसर दा ढाबा और भाई कुलवंत सिंह कुलचियां वाले जैसे लोकप्रिय आउटलेट हैं।
: मुद्दे और महत्व:–
- मुद्दा: GI टैग न होने से अन्य राज्यों में नकल को बढ़ावा मिलता है, जिससे प्रामाणिकता कमज़ोर होती है।
- महत्व: GI टैग पाक विरासत की रक्षा करेगा, पाक पर्यटन को बढ़ावा देगा और स्थानीय व्यवसायों और सामग्री आपूर्ति करने वाले किसानों को लाभान्वित करेगा।