सन्दर्भ:
: भारत और चीन द्वारा सीमा बिंदुओं के माध्यम से व्यापार पुनः आरंभ करने के बाद भारत ने लिपुलेख दर्रा (Lipulekh Pass) पर नेपाल के दावे को खारिज कर दिया।
लिपुलेख दर्रा के बारे में:
: यह उत्तराखंड के कुमाऊँ क्षेत्र में भारत, नेपाल और चीन के त्रि-संधि स्थल के पास स्थित एक उच्च-ऊँचाई वाला पर्वतीय दर्रा है।
: यह भारतीय राज्य उत्तराखंड को चीन के तिब्बत क्षेत्र से जोड़ता है।
: यह लगभग 5,334 मीटर (17,500 फीट) की ऊँचाई पर स्थित है।
: इसकी ऊँचाई और रणनीतिक स्थिति इसे हिमालय के ऊँचे पर्वतों का प्रवेश द्वार बनाती है।
: यह 1992 में चीन के साथ व्यापार के लिए खोली गई पहली भारतीय सीमा चौकी है।
: इसके बाद 1994 में हिमाचल प्रदेश में शिपकी ला दर्रा और 2006 में सिक्किम में नाथू ला दर्रा खोला गया।
: लिपुलेख दर्रे का महत्व:-
- प्राचीन व्यापार मार्ग: सदियों से इसका उपयोग एक व्यापार मार्ग के रूप में किया जाता रहा है, जो भारतीय उपमहाद्वीप को तिब्बती पठार से जोड़ता है।
- धार्मिक महत्व: हिंदुओं के पवित्र तीर्थस्थल कैलाश मानसरोवर यात्रा का एक अभिन्न अंग होने के कारण इसका धार्मिक महत्व भी है।