सन्दर्भ:
: केंद्रीय कृषि मंत्री ने प्रभावोत्पादकता और विनियामक उल्लंघनों पर बढ़ती शिकायतों के बीच राज्यों को जैव उत्तेजक (Biostimulants) की जबरन बिक्री रोकने का निर्देश दिया है।
जैव उत्तेजक के बारें में:
: जैव उत्तेजक पदार्थ या सूक्ष्मजीव होते हैं, जो पौधों या मिट्टी पर प्रयोग किए जाने पर पोषक तत्वों के अवशोषण, पौधों की वृद्धि, उपज और तनाव प्रतिरोध को बढ़ाते हैं, जबकि इन्हें उर्वरक या कीटनाशक के रूप में वर्गीकृत नहीं किया जाता।
: ज्ञात हो कि केंद्र उर्वरक नियंत्रण आदेश (FCO), 1985 के तहत संशोधित विनिर्देशों और नियामक जांच के माध्यम से जैव उत्तेजकों पर निगरानी को कड़ा कर रहा है।
: प्रमुख विशेषताएँ:-
- गैर-पोषक तत्व: उर्वरकों के विपरीत, ये पौधों की शारीरिक प्रक्रियाओं को उत्तेजित करते हैं।
- प्रकृति से प्राप्त: अक्सर पौधों के अवशेषों, समुद्री शैवाल के अर्क या सूक्ष्मजीवों से बने होते हैं।
- कीटनाशक का विकल्प नहीं: ये सीधे कीटों को नियंत्रित नहीं करते हैं, और FCO के तहत अलग से विनियमित होते हैं।
- फसल-विशिष्ट प्रभावकारिता: धान, प्याज, बैंगन, मिर्च आदि जैसी विशिष्ट फसलों के लिए प्रयुक्त।
: नियामक ढांचा-
कानूनी समर्थन:-
- फरवरी 2021 में एक संशोधन के माध्यम से उर्वरक नियंत्रण आदेश (FCO), 1985 के अंतर्गत शामिल किया गया।
- विषाक्तता परीक्षण, पर्यावरण-सुरक्षा परीक्षण और जैव-प्रभावकारिता अध्ययनों का अनुपालन करना होगा।
अनिवार्य परीक्षण:-
- पाँच तीव्र विषाक्तता परीक्षण (मौखिक, त्वचीय, अंतःश्वसन, नेत्र, त्वचा)।
- चार पारिस्थितिक-विषाक्तता परीक्षण (मछली, पक्षी, मधुमक्खियाँ और केंचुए पर)।
- एक मौसम में 3 कृषि-पारिस्थितिक क्षेत्रों में 3 अलग-अलग खुराकों के साथ परीक्षण।
केंद्रीय जैव-उत्तेजक समिति:-
- कृषि मंत्रालय के अधीन 2021 में 5 वर्षों के लिए गठित।
- उत्पाद अनुमोदन, परीक्षण विधियों और प्रयोगशाला मानकों पर सलाह देती है।
सरकारी कार्रवाई और वर्तमान मुद्दे:-
- दुरुपयोग की सूचना: खुदरा विक्रेता किसानों को सब्सिडी वाले उर्वरकों के साथ जैव-उत्तेजक खरीदने के लिए मजबूर कर रहे हैं।
- अपंजीकृत उत्पादों पर कार्रवाई: 30,000 से अधिक अनियमित उत्पादों में से अब केवल 650 की अनुमति है।
- मार्च 2024 की समय सीमा समाप्त: अनंतिम लाइसेंस समाप्त हो गए हैं और अब बिना बिके स्टॉक बिक्री के लिए अयोग्य हैं।
- फसल-विशिष्ट विनिर्देश: टमाटर, मिर्च, धान, कपास, सोयाबीन आदि के लिए मई 2025 में अधिसूचित।
भारत का बढ़ता जैव-उत्तेजक बाज़ार:-
- 2025 में इसका मूल्य 410 मिलियन अमेरिकी डॉलर होगा, और 2032 तक 1.13 बिलियन अमेरिकी डॉलर तक पहुँचने का अनुमान है।
- कम लागत वाली टिकाऊ कृषि और जलवायु-अनुकूल प्रथाओं की माँग से प्रेरित।