सन्दर्भ:
: हाल ही में, आंध्र प्रदेश के अनकापल्ली जिले के एक पहाड़ी गांव नीलाबांधा के आदिवासी परिवारों को आजादी के बाद पहली बार बिजली मिली और उन्होंने खुशी में धिमसा नृत्य (Dhimsa Dance) किया।
धिमसा नृत्य के बारें में:
: यह आंध्र प्रदेश में बागाटा, वाल्मीकि, पोराजा, खोंड, गदाबा, कोंडाडोरा, मुकाडोरा, कोटिया सहित जनजातियों द्वारा किया जाने वाला एक लोकप्रिय जनजातीय नृत्य है।
: यह त्यौहारों, शादियों और अप्रैल में “शिकार उत्सव” के समय किया जाता है जब पुरुष और महिलाएँ घंटों तक एक साथ नृत्य करते हैं।
: धिमसा नृत्य की 12 किस्में हैं और इसकी उत्पत्ति कोरापुट क्षेत्र में हुई है जो घोंड जनजाति का घर है।
: इसमें पवन और ताल वाद्यों का उपयोग किया जाता है, संगीत के अनुसार नृत्य बदलता है और एक मंडली में 20 लोग होते हैं।
: नृत्य के विषय- ढिमसा के विभिन्न विषय उनकी पौराणिक कथाओं, लोककथाओं, लोकाचार, रीति-रिवाजों, आर्थिक गतिविधियों और उनके रिश्तेदारी और वैवाहिक जीवन आदि के इर्द-गिर्द बुने जाते हैं।
: उपयोग किए जाने वाले वाद्य- डप्पू, टुडुमु, मोरी, किडगी, गिल्का और जोडुकोमुलु जैसे संगीत वाद्ययंत्रों का उपयोग किया जाता है।
: प्रदर्शन- धिमसा नृत्य एक दूसरे की पीठ पर हाथ रखकर एक घेरे में किया जाता है।
: यह नृत्य मुख्य रूप से हाथों और पैरों की हरकत है।
: नर्तक छोटे या बड़े घेरे बनाते हैं और एक टीम के रूप में एक साथ प्रदर्शन करते हैं।