सन्दर्भ:
: विश्व सूखा एटलस (World Drought Atlas) के अनुसार 2050 तक लगभग 75 प्रतिशत आबादी सूखे से प्रभावित होगी।
विश्व सूखा एटलस के बारे में:
: इसे मरुस्थलीकरण से निपटने के लिए संयुक्त राष्ट्र सम्मेलन (UNCCD) द्वारा यूरोपीय आयोग संयुक्त अनुसंधान केंद्र के सहयोग से लॉन्च किया गया है।
: यह बताता है कि किस तरह से सूखे के बढ़ते जोखिम मानवीय गतिविधियों से जुड़े हैं और फिर पाँच प्रमुख क्षेत्रों- जल आपूर्ति, कृषि, जल विद्युत, अंतर्देशीय नौवहन और पारिस्थितिकी तंत्र में सूखे के प्रभावों पर गहराई से चर्चा करता है।
: इसमें दुनिया भर से 21 केस स्टडीज़ शामिल हैं, जो इस बात पर जोर देती हैं कि कोई भी देश सूखे से अछूता नहीं है और सभी इसके लिए बेहतर तरीके से तैयारी कर सकते हैं।
: यह प्रणालीगत सूखे के जोखिमों को प्रबंधित करने, कम करने और अनुकूल बनाने के लिए ठोस उपायों और मार्गों का वर्णन करता है, विभिन्न क्षेत्रों के लिए इन कार्यों के सह-लाभों को रेखांकित करता है, और विभिन्न क्षेत्रों से सर्वोत्तम प्रथाओं को प्रदर्शित करता है।
: एटलस में हाइलाइट किए गए उपाय तीन श्रेणियों में आते हैं-
- शासन (जैसे प्रारंभिक चेतावनी प्रणाली, छोटे किसानों के लिए माइक्रोइंश्योरेंस, जल उपयोग के लिए मूल्य निर्धारण योजनाएँ)
- भूमि-उपयोग प्रबंधन (जैसे भूमि बहाली और कृषि वानिकी)
- जल आपूर्ति और उपयोग का प्रबंधन (जैसे अपशिष्ट जल का पुनः उपयोग, प्रबंधित भूजल पुनर्भरण और संरक्षण।)