सन्दर्भ:
: भारत मौसम विज्ञान विभाग (IMD) ने भारत की आबादी पर गर्मी के प्रभाव को मापने के लिए अगले साल एक समग्र हीट इंडेक्स (ताप सूचकांक) लॉन्च करने की योजना की घोषणा की है।
इस सूचकांक का उद्देश्य:
: अपनी आबादी पर गर्मी के प्रभाव की मात्रा निर्धारित करने और विशिष्ट स्थानों के लिए प्रभाव-आधारित हीटवेव अलर्ट उत्पन्न करने के लिए।
हीट इंडेक्स के बारें में:
: ताप सूचकांक/ ऊष्मा सूचकांक हवा के तापमान और सापेक्षिक आर्द्रता का संयोजन है, यह इस बात का माप है कि वास्तव में कितना गर्म महसूस होता है जब सापेक्षिक आर्द्रता को वास्तविक हवा के तापमान के साथ जोड़ दिया जाता है।
: तापमान, आर्द्रता, हवा और जोखिम की अवधि इत्यादि उपयोग किए जाने वाले पैरामीटर है।
: इसका महत्त्व है कि, विश्लेषण गर्मी के खतरे के स्कोर को उत्पन्न करने में मदद करेगा, जिसका उपयोग विशिष्ट स्थानों के लिए प्रभाव-आधारित हीटवेव अलर्ट जारी करने के लिए थ्रेसहोल्ड के रूप में किया जाएगा।
: अगर भारत में गर्मी की लहरें देखे तो IMD के आंकड़ों के अनुसार, 2000-2009 की तुलना में 2010-2019 के दौरान हीट वेव्स की संख्या में 24% की वृद्धि हुई थी।
: 2000 और 2019 के बीच, उष्णकटिबंधीय चक्रवातों के लिए मृत्यु दर में 94% की कमी आई, जबकि गर्मी की लहरों के लिए इसमें 62% की वृद्धि हुई।
: देश में राष्ट्रीय स्तर पर लू को प्राकृतिक आपदा के रूप में अधिसूचित नहीं किया जाता है।
: गर्मी की लहरों का प्रभाव- गर्मी की लहरों के कारण ऐंठन, थकावट, तनाव, गर्मी का दौरा पड़ता है, और बहुत गंभीर गर्मी की लहरें भी मृत्यु का कारण बनती हैं।
: बुजुर्ग, बच्चे, और दिल और सांस की समस्या वाले लोग, गुर्दे की बीमारियाँ और मानसिक विकार विशेष रूप से प्रभावित होते हैं।
: उच्च तापमान की अत्यधिक अवधि फसल की पैदावार में महत्वपूर्ण कमी ला सकती है और कई फसलों में प्रजनन विफलता का कारण बन सकती है।