सन्दर्भ:
: भारत ने चेन्नई स्थित इंटीग्रल कोच फैक्ट्री (ICF) में अपनी पहली हाइड्रोजन-संचालित ड्राइविंग पावर कार का सफलतापूर्वक परीक्षण किया।
हाइड्रोजन-संचालित ड्राइविंग पावर कार के बारें में:
: ज्ञात हो कि यह कदम ‘विरासत के लिए हाइड्रोजन’ योजना के तहत 35 हाइड्रोजन ट्रेनें शुरू करने के सरकार के व्यापक दृष्टिकोण का हिस्सा है।
: हाइड्रोजन ट्रेन, हाइड्रोजन ईंधन कोशिकाओं द्वारा संचालित होती है, जो हाइड्रोजन और ऑक्सीजन के बीच रासायनिक प्रतिक्रिया के माध्यम से बिजली उत्पन्न करती हैं, तथा केवल पानी और गर्मी उत्सर्जित करती हैं।
: इसका विकास भारतीय रेलवे के अंतर्गत इंटीग्रल कोच फैक्ट्री (ICF), चेन्नई द्वारा, तथा तकनीकी पर्यवेक्षण उत्तर रेलवे द्वारा किया गया है।
: इसका उद्देश्य- डीजल इंजनों को पर्यावरण अनुकूल हाइड्रोजन विकल्पों से प्रतिस्थापित करना, विशेष रूप से हेरिटेज और गैर-विद्युतीकृत मार्गों पर, और 2030 तक रेलवे के कार्बन फूटप्रिंट्स को कम करना।
: यह कैसे काम करता है- हाइड्रोजन ईंधन सेल हाइड्रोजन को बिजली में परिवर्तित करके ट्रैक्शन मोटरों को शक्ति प्रदान करते हैं। बैटरियाँ अतिरिक्त ऊर्जा संग्रहित करती हैं, और पुनर्योजी ब्रेकिंग दक्षता बढ़ाती है।
: इसकी मुख्य विशेषताएँ:-
- पावर क्षमता: 1200 एचपी – दुनिया का सबसे शक्तिशाली हाइड्रोजन ट्रेन इंजन।
- कोच विन्यास: 10-कार रेक बनाम वैश्विक औसत 5।
- उत्सर्जन: शून्य-उत्सर्जन और केवल जल वाष्प उत्पन्न करता है।
- लागत दक्षता: ₹80 करोड़/ट्रेन और ₹70 करोड़/रूट बुनियादी ढाँचे के लिए।
- पायलट मार्ग: प्रारंभिक संचालन के लिए जींद-सोनीपत (हरियाणा) का चयन किया गया।
: इसका महत्व:-
- नेट-ज़ीरो विज़न: भारतीय रेलवे के 2030 तक कार्बन-मुक्ति लक्ष्य का समर्थन करता है।
- हरित अर्थव्यवस्था को बढ़ावा: ट्रकों, टगबोट और भारी उद्योगों तक विस्तारित किया जा सकता है।
- वैश्विक नेतृत्व: भारत को हाइड्रोजन रेल प्रौद्योगिकी में वैश्विक अग्रदूतों में शामिल करता है।
