सन्दर्भ:
: भारत ने जापान और सिंगापुर को 4.12 लाख टन ग्रीन हाइड्रोजन डेरिवेटिव की आपूर्ति के लिए समझौतों पर हस्ताक्षर किए, साथ ही, इसने विश्वसनीय और पारदर्शी ग्रीन हाइड्रोजन उत्पादन सुनिश्चित करने के लिए भारत की हरित हाइड्रोजन प्रमाणन योजना (GHCI) शुरू की।
हरित हाइड्रोजन प्रमाणन योजना के बारें में:
: GHCI भारत का पहला प्रमाणन ढांचा है जो यह सत्यापित करता है कि हाइड्रोजन का उत्पादन विशेष रूप से नवीकरणीय ऊर्जा का उपयोग करके किया जाता है, जिससे इसकी “हरित” के रूप में मान्यता सुनिश्चित होती है।
: इसे नवीन और नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय (MNRI) द्वारा लॉन्च किया गया।
: ऊर्जा दक्षता ब्यूरो (BEE) इसकी नोडल एजेंसी।
: राष्ट्रीय हरित हाइड्रोजन मिशन द्वारा समर्थित।
: मान्यता प्राप्त कार्बन सत्यापन (ACV) एजेंसियां इसकी प्रमाणन निकाय।
: परिचालन वर्ष- प्रत्येक वित्तीय वर्ष के लिए निर्धारित मूल्यांकन चक्र।
: इसका उद्देश्य:-
- उत्सर्जन तीव्रता के आधार पर सही मायने में हरित हाइड्रोजन को प्रमाणित करना।
- ट्रेसेबिलिटी, पारदर्शिता और बाजार की विश्वसनीयता को बढ़ावा देना।
- 2030 तक 5 MMT हरित हाइड्रोजन उत्पादन की भारत की प्रतिबद्धता के साथ तालमेल बिठाना।
- भारत की कार्बन क्रेडिट ट्रेडिंग योजना (2026) के साथ एकीकृत करना।
: मुख्य विशेषताएँ:-
- दायरा: हाइड्रोजन शुद्धिकरण तक परियोजना-स्तरीय प्रमाणन (परिवहन और भंडारण को छोड़कर)।
- पात्रता: इलेक्ट्रोलिसिस और बायोमास रूपांतरण लेकिन BEE अनुमोदन पर नए मार्ग जोड़े जा सकते हैं।
- निगरानी: हर साल तीसरे पक्ष द्वारा सत्यापन और ग्रीन हाइड्रोजन पोर्टल के माध्यम से डेटा लॉग करना अनिवार्य है।
- GHG मीट्रिक: प्रति किलोग्राम H₂ में किलोग्राम CO₂ समतुल्य में मापा जाता है।
- उत्पत्ति की गारंटी (GO): ग्रीन हाइड्रोजन दावों की वैधता सुनिश्चित करता है।
- अनुपालन: सभी घरेलू उत्पादकों के लिए अनिवार्य; केवल निर्यात इकाइयों के लिए छूट।
: महत्व:-
- विश्वसनीयता के साथ भारत के वैश्विक हाइड्रोजन निर्यात को बढ़ावा देता है।
- स्पष्ट बाजार मानकों को परिभाषित करके निवेश आकर्षित करता है।
- हरित ऊर्जा में भारत के नेतृत्व को मजबूत करता है और जीवाश्म ईंधन पर निर्भरता को कम करता है।
- सत्यापनीय स्वच्छ हाइड्रोजन उत्पादन के माध्यम से कार्बन व्यापार को सुविधाजनक बनाता है।